यह जो तुम्हारे कंधे पर
मैंने अपना हाथ रखा है,
प्यार से रखा है,
क्या तुमने समझा है?
मेरी हथेलियों की
थोड़ी अतिरिक्त ऊष्मा,
एक अलग-सी कोमलता,
क्या तुमने महसूस की है?
यह जो तुम्हारे कंधे पर
मैंने अपना हाथ रखा है,
सहारे के लिए नहीं रखा है,
सहारा ही लेना होता
तो लाठी बेहतर होती,
न कसमसाती,
न एहसान जताती,
न इस दुविधा में रहती
कि मैंने उसपर अपना हाथ
सहारे के लिए रखा है
या सिर्फ प्यार से...
मन के भावो को शब्दों में उतर दिया आपने.... बहुत खुबसूरत.....
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयह जो तुम्हारे कंधे पर
जवाब देंहटाएंमैंने अपना हाथ रखा है,
सहारे के लिए नहीं रखा है,
सहारा ही लेना होता
तो लाठी बेहतर होती,
न कसमसाती,
न एहसान जताती,
न इस दुविधा में रहती
कि मैंने उसपर अपना हाथ
सहारे के लिए रखा है
या सिर्फ प्यार से...बहुत बढ़िया
प्रेम पगे भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव मई लाजबाब प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: दोहे,,,,
वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव,,,,,
इंसानी फितरत है ही ऐसी...
अनु
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल रविवार को 08 -07-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज हलचल में .... आपातकालीन हलचल .
हर पोस्ट से हमारी टिप्पणी स्पाम में जा रही है ...प्लीस देखिये सर.
जवाब देंहटाएंअनु
वाह||||
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए सुन्दर रचना...
:-)
waah bina lag lapet ke sahi bat kah di...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति ...
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