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गुरुवार, 29 दिसंबर 2022

६८८. पुराने साल से

 


पुराने साल,

जाना है, तो जाओ,

पर टच में रहना,

मिल लिया करना ज़ूम पर,

जैसे मिल लेते हैं

विदेशों में बसे बच्चे 

पीछे छूटे माँ-बाप से. 

**

पुराने साल,

हो सके, तो थोड़ा रुक जाओ,

पूरे कर लेने दो कुछ वादे,

जो तुम्हारे आने पर 

मैंने तुमसे किए थे. 

**

पुराने साल,

मैंने तुम्हें कभी समझा ही नहीं,

अब तुम जा रहे हो,

तो महसूस होता है 

कि तुम बहुत अच्छे थे,

मैं ही बुरा था. 

**

पुराने साल,

नया साल आएगा,

तो मैं उसे बताऊंगा 

कि तुम कितने अच्छे थे,

जो बात तुमसे कहनी थी,

वह कहूंगा ज़रूर,

पर किसी और से. 

**

पुराने साल,

तुम्हारे जाने के बाद 

मैं शायद ही तुम्हें याद करूं,

पर लगाए रखूंगा 

दीवार पर तुम्हारा कैलेंडर,

जैसे बच्चे लगाए रखते हैं,

माँ-बाप के फ़ोटो, 

उनके जाने के बाद.

रविवार, 25 दिसंबर 2022

६८७. कांटे-कंकड़

 


मैं थक गया हूँ 

कांटे चुनते-चुनते,

पर जितने चुनता हूँ,

उतने ही और निकल आते हैं. 


मैं ऊब गया हूँ 

कंकड़ बीनते-बीनते,

पर कंकड़ हैं 

कि ख़त्म ही नहीं होते.


लगता है,

ये कांटे,ये कंकड़

कहीं बाहर नहीं,

मेरे अंदर ही हैं,

बहुत मुश्किल है 

इन्हें निकाल पाना,

उससे भी मुश्किल है 

इन्हें देख पाना,

देखकर पहचान पाना.



बुधवार, 21 दिसंबर 2022

६८६.आइसक्रीम

 


मैं चाहता था 

धीरे-धीरे, चूस-चूसकर 

आइसक्रीम खाना,

पर इस कोशिश में 

वह कब स्टिक से टूटी,

कब ज़मीन पर गिरी,

पता ही नहीं चला. 

**

पिघल गई है ज़िन्दगी 

मेरे देखते-देखते,

बस स्टिक बची है,

जिस पर कहीं-कहीं चिपकी है

थोड़ी-सी आइसक्रीम. 

**

मैं रोज़ ख़रीदता हूँ 

उस बच्चे से आइसक्रीम,

मुझे ख़रीदना तो अच्छा लगता है,

पर न जाने क्यों 

खाना अच्छा नहीं लगता. 

**

वह जो बच्चा 

मेरे मुहल्ले में 

आइसक्रीम बेचता है,

उसका भी मन करता है 

कि वह भी खाए 

कभी कोई आइसक्रीम.


मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

६८५. मौसम



तुममें वसंत भी है,

तुममें पतझड़ भी, 

तुममें जाड़ा भी है,

तुममें बरसात भी. 

तुममें ऐसे भी मौसम हैं,

जो न मैंने देखे हैं,

न सुने हैं. 

इतने सारे मौसम 

तुम लाती कहाँ से हो?

मैं तुम्हारे मौसमों को समझ लूँ,

तो तुम्हें भी समझ लूँ। 

**

मुझे वसंत पसंद है,

तुम्हें पतझड़,

मुझे बरसात पसंद है,

तुम्हें ठंड,

कितनी अलग हैं हमारी पसंद,

फिर भी मुझे तुम पसंद हो 

और तुम्हें मैं. 

**

जब मुझमें पतझड़ होता है,

तुममें वसंत,

जब मुझमें ठण्ड होती है,

तुममें बरसात,

हममें मौसम तो एक जैसे हैं,

पर उनका टाइमिंग अलग है. 


शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

६८४. सड़कें

 


सुना है,

सड़कों को अच्छे लगते हैं

सरसों के खेत,

सिर पर रखे हुए 

पानी के मटके,

घरों से उठते 

धुएँ के गोले,

चबूतरे पर बैठकर 

हुक्का गुड़गुड़ाते बूढ़े,

गलियों में दौड़ते 

अधनंगे बच्चे,

पर किसी को परवाह नहीं 

कि सड़कें क्या चाहती हैं,

सब उन्हें उधर ही ले जाते हैं,

जिधर पहले से ही सड़कें हैं.

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

६८३. आइसक्रीम

 



मैं बच्चा था,

तो मुलायम था 

आइसक्रीम की तरह,

बड़ा हुआ,

तो सख़्त हो गया. 

अब मन करता है,

फिर से आइसक्रीम हो जाऊं,

पर इतना आसान नहीं होता 

पत्थर का आइसक्रीम हो जाना,

उससे भी मुश्किल है 

लोगों का यह मान लेना 

कि कल तक जो पत्थर था,

आज आइसक्रीम हो गया है.  

**

मैंने माँगा नहीं,

पर मुझे मिल गईं 

दो-दो आइसक्रीम,

मैं सोचता रहा, 

पहले कौन सी खाऊं,

सोचने-सोचने में पिघल गईं 

दोनों आइसक्रीम. 

**

मुझमें मिठास हो न हो,

उजियारा होना चाहिए,

मैं तैयार हूँ पिघलने को,

पर आइसक्रीम की तरह नहीं,

मोमबत्ती की तरह.  


 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

६८२. मेरा शरीर

 


बहुत प्यार है मुझे अपने शरीर से,

पर आख़िर यह है किसका?

मेरा है,तो क्यों अपनी मर्ज़ी से 

बीमार पड़ जाता है?

क्यों उधर चल पड़ता है,

जिधर मैं जाना नहीं चाहता,

क्यों मेरी बातों को सुनकर भी  

अनसुना कर देता है?


मेरा शरीर अगर सच में मेरा है, 

तो क्यों मुझे जाना होगा  

इसे यहीं छोड़कर एक दिन?

क्यों जला देंगे इसे दूसरे लोग 

मेरी अनुमति के बिना?