पेड़ की डालियों के स्टम्प बनाकर
ईंट-पत्थरों की सीमा-रेखा के बीच
वह छोटा-सा लड़का सुबह से शाम तक
रबर की गेंद से क्रिकेट खेलता है.
सब उसे नकारा समझते हैं,
पर उसकी माँ को यकीन है
कि उसकी मेहनत रंग लाएगी,
उसका निश्चय उसे तराशेगा.
लड़के की माँ कभी अपना टूटा घर
कभी अपने फटे कपड़े देखती है,
उसे यकीन है कि एक दिन
उसका बेटा ज़रूर विराट बनेगा.
ईंट-पत्थरों की सीमा-रेखा के बीच
वह छोटा-सा लड़का सुबह से शाम तक
रबर की गेंद से क्रिकेट खेलता है.
सब उसे नकारा समझते हैं,
पर उसकी माँ को यकीन है
कि उसकी मेहनत रंग लाएगी,
उसका निश्चय उसे तराशेगा.
लड़के की माँ कभी अपना टूटा घर
कभी अपने फटे कपड़े देखती है,
उसे यकीन है कि एक दिन
उसका बेटा ज़रूर विराट बनेगा.