इस तालाब में इतनी ख़ुशबू क्यों है,
किसने डाल रखे हैं पांव पानी में?
मैं टकटकी बांधे देखता रहा उधर,
फिर भी चली गई भैंस पानी में.
एक अरसे से प्यास की तलाश में हूँ,
मुझे दिलचस्पी नहीं है पानी में.
शुक्र है तुमने ताज़िन्दगी ग़म दिए,
जो बात आग में है, नहीं है पानी में.
इतना दुश्वार नहीं ख़ुद को पहचान पाना,
आईना नहीं, तो झांक लिया करो पानी में.