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मंगलवार, 2 मई 2023

हाल ही में  एमाज़ॉन से प्रकाशित मेरी  हिंदी कविताओं की पहली ई-बुक ‘इंद्रधनुष’ के कुछ रंग: 


पानी, इतने लोगों को लील कर भी

तुम इतने शांत कैसे रह सकते हो,

तुम्हारा तो रंग भी नहीं बदला,

कहाँ गया तुम्हारी आँखों का पानी?

* **

अच्छा-बुरा जो भी है,

आज है,कल नहीं है,

अभी है,बाद में नहीं है.

इसलिए ज़्यादा दुःखी होना

उतना ही अर्थहीन है,

जितना ज़्यादा ख़ुश होना.

***

मैं तितली बनना चाहता हूँ,

पक्षी बनना चाहता हूँ,

जुगनू बनना चाहता हूँ,

मैं कुछ भी बन सकता हूँ,

पर नहीं बनना मुझे आदमी.

***

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