मैं तुम्हारे जूड़े में खोंसा गया
एक बेबस फूल हूँ.
लगातार तुम्हारे साथ हूँ,
पर न तुम मुझे,
न मैं तुम्हें देख सकता हूँ.
डाल से अलग हूँ,
एक दिन का मेहमान हूँ,
कल मैं कुम्हला जाऊँगा,
तुम्हारे लायक नहीं रहूँगा.
तुम मुझे खींचकर
अपने जूड़े से निकालोगी,
किसी गंदे कूड़ेदान में
या ज़मीन पर फेंक दोगी.
मैं तुमसे नहीं कहूँगा
कि मुझे जूड़े में रहने दो,
ऐसा कहना अन्याय होगा,
कहूँगा भी तो तुम मानोगी नहीं.
अब एक ही ख्वाहिश है मेरी
कि मिट्टी में मिलने से पहले
बस एक बार, सिर्फ़ एक बार
मैं तुम्हारी नज़रों के सामने रहूँ.
एक बेबस फूल हूँ.
लगातार तुम्हारे साथ हूँ,
पर न तुम मुझे,
न मैं तुम्हें देख सकता हूँ.
डाल से अलग हूँ,
एक दिन का मेहमान हूँ,
कल मैं कुम्हला जाऊँगा,
तुम्हारे लायक नहीं रहूँगा.
तुम मुझे खींचकर
अपने जूड़े से निकालोगी,
किसी गंदे कूड़ेदान में
या ज़मीन पर फेंक दोगी.
मैं तुमसे नहीं कहूँगा
कि मुझे जूड़े में रहने दो,
ऐसा कहना अन्याय होगा,
कहूँगा भी तो तुम मानोगी नहीं.
अब एक ही ख्वाहिश है मेरी
कि मिट्टी में मिलने से पहले
बस एक बार, सिर्फ़ एक बार
मैं तुम्हारी नज़रों के सामने रहूँ.