एक पंछी उड़ते हुए आया,
मेरी खिड़की पर बैठा,
पूछा,'पिंजरे में कैसा लगता है?'
मैंने कोई जवाब नहीं दिया,
उसने हँसते हुए पूछा,
'दाना-पानी है न?'
और फुर्र से उड़ गया.
***
उड़े जा रहे हैं
कुछ पंछी आकाश में
आपस में बतियाते
कि बहुत शांति है आज,
सब बंद हैं घरों में,
ये जब बाहर होते हैं,
तो कितना शोर मचाते हैं!
***
एक पंछी नाच रहा है सड़क पर,
कह रहा है लोगों से,
अब पिंजरे में रहने के
तुम्हारे दिन आए,
हम आज़ाद हैं,
तुम्हारी बनाई सड़कों पर
तुम्हारी अनुमति के बिना
थोड़ा हम भी फुदकेंगे.