मुझे बहुत भाते हैं वे पेड़,
जिन पर पत्ते, फूल, फल
कुछ भी नहीं होते,
जो योगी की तरह
चुपचाप खड़े होते हैं -
मौसम का उत्पात झेलते.
इन्हें देखकर मुझे
दया नहीं आती,
क्योंकि मैं जानता हूँ
कि ये पेड़,
जो मृतप्राय लगते हैं,
बड़े जीवट वाले होते हैं,
बहुत धीरज होता है इनमें.
जब फलों-फूलों से लदे
आसपास के हरे-भरे पेड़
इन्हें दया की नज़र से देखते हैं,
तो ये मन-ही-मन मुस्कराते हैं.
ये अच्छी तरह जानते हैं कि
जल्दी ही ये भी हरे-भरे होंगे,
अभी इनकी जड़ें सूखी नहीं हैं,
अभी बहुत जीवन शेष है उनमें.