गाँव की वह छोटी-सी लड़की
सुबह-शाम आँगन बुहारती है,
गाय-भैंसों को चारा देती है,
माँ की बनाई हुई रोटियाँ
खेत में बाप को पहुँचाती है.
गाँव की वह छोटी-सी लड़की
बिना नाग़ा स्कूल जाती है,
परीक्षा में अच्छे नंबर लाती है,
हर शाम छोटी बहन को
पाठ तैयार कराती है.
गाँव की वह छोटी-सी लड़की
घर के हर बीमार को
डॉक्टर तक ले जाती है,
दवा, मिट्टी का तेल,राशन-
ज़रूरत का हर सामान
दौड़कर दुकान से लाती है.
गाँव की वह छोटी-सी लड़की
बहुत उदास हो जाती है,
जब भी उसके माँ-बाप कहते हैं,
‘काश,हमारे यहाँ बेटा पैदा होता.’