Friends,
शनिवार, 29 जुलाई 2023
सोमवार, 24 जुलाई 2023
७२४.उड़ान
लड़कियों,
जितना आसमान तुम्हें दिखता है,
आसमान उतना ही नहीं है,
जितना दूर तुम्हें दिखता है,
उतना दूर भी नहीं है।
तुम्हें बहलाने के लिए हमने
एक रोशनदान खोल रखा है,
पर खिड़कियाँ अभी बंद हैं,
दरवाज़ों पर अभी ताले जड़े हैं।
तुम्हें मिलती है ज़रा-सी हवा,
दिखता है थोड़ा-सा आसमान,
तुम पूरी साँस लेकर तो देखो,
बाहर निकलकर आसमान तो देखो।
कोई भी नहीं आएगा कहीं से,
तुम्हें ही खोलनी होंगी खिड़कियाँ,
तोड़ने होंगे ताले,
बाहर आना होगा ख़ुद ही,
फैलाने होंगे पंख
और उड़ना होगा आसमान में।
सोमवार, 17 जुलाई 2023
७२३.कविता और ज़िन्दगी
किसी नदी की तरह
पहाड़ों से उतरती है
मेरी नई कविता,
निर्मल,अल्हड़,मस्त.
हरे-भरे मैदानों से गुज़रती है,
तो लगता है,
पहुंच जाएगी सागर तक,
पा लेगी अपनी मंज़िल,
पर रास्ता रोक लेता है
कोई विशाल मरुस्थल,
जहां सूखती जाती है वह,
आख़िर दम तोड़ देती है नदी.
ऐसे ही खो जाती हैं
हंसती-खेलती ज़िंदगियां,
नहीं पहुंच पातीं
अपने अंत तक कभी.
सोमवार, 3 जुलाई 2023
७२२. झुर्रियां
झुर्रियां भी अजीब होती हैं,
उजाले में देखो, तो चुप रहती हैं,
अंधेरे में देखो,
तो दिखती नहीं,
पर सिसकती बहुत हैं.
***
उसकी आंखों की कोरों में
जो आंसू चमकते हैं,
न झुर्रियों में अटकते हैं,
न नीचे गिरते हैं,
फिर जाते कहां हैं?
***
झुर्री सिर्फ़ लकीर नहीं होती,
भाषा भी होती है,
हर झुर्री किसी से
कुछ कहना चाहती है,
पर उसे समझने के लिए
वह भाषा जानना ज़रूरी है.
***
उसके खाने-पीने,
कपड़े-लत्ते,
रहने-सोने का ख़याल रखना,
पर यह भी ख़याल रखना
कि उसके चेहरे पर
उतनी ही झुर्रियां हों,
जितनी उसकी उम्र में होनी चाहिए.
***
किसी वैद्य से मैंने जाना
कि चेहरे पर झुर्रियां
कम खाने से नहीं,
कम बोलने से पड़ती हैं.