आज बहुत ख़ुश हूँ मैं.
लम्बी अँधेरी रात में
रौशनी दिखी है कहीं,
नीरव घने जंगल में
कोई चिड़िया चहचहाई है,
भटके हुए राही को
दिखी है कोई पगडंडी,
घने काले बादलों में
कोई बिजली चमकी है.
आज बहुत ख़ुश हूँ मैं,
सालों की यंत्रणा के बाद
आज मेरी मुट्ठी में आया है
गेहूं के दाने जितना सुख.
लम्बी अँधेरी रात में
रौशनी दिखी है कहीं,
नीरव घने जंगल में
कोई चिड़िया चहचहाई है,
भटके हुए राही को
दिखी है कोई पगडंडी,
घने काले बादलों में
कोई बिजली चमकी है.
आज बहुत ख़ुश हूँ मैं,
सालों की यंत्रणा के बाद
आज मेरी मुट्ठी में आया है
गेहूं के दाने जितना सुख.