इतनी हिंसा,
इतनी नफ़रत,
इतना उन्माद!
बापू,
बहुत खलता है इन दिनों
तुम्हारा नहीं होना.
***
बापू,
कैसा लगता है तुम्हें,
जब तुम देखते हो
कि हमने तुम्हें याद भी रखा है
और भूल भी गए हैं.
***
बापू,
तुम्हारे तीनों बन्दर
सही सलामत हैं,
न बुरा देखते हैं,
न बुरा बोलते हैं,
न बुरा सुनते हैं,
पर समझ में नहीं आता
कि तुमसे अलग होकर
वे इतने ख़ुश क्यों हैं?