४. लकडहारे से
फेंक दो कुल्हाड़ी,
सुस्ता लो कुछ देर,
मेरे पत्तों की छाँव में.
काट रहे हो कब से मुझे,
थक गए होगे तुम,
छाले तक पड़ गए होंगे हाथों में.
अभी तो खड़ा हूँ मैं अपनी जगह,
पत्ते भी हैं हरे भरे,
पर कट चुका हूँ इतना
कि मरना तो अब तय है
और तय है पत्तों का सूख जाना.
अभी वक़्त है, सुस्ता लो छाँव में,
फिर काट लेना मुझे पूरी तरह,
भागकर कहीं नहीं जाऊँगा मैं,
जहाँ हूँ, वहीँ रहूँगा,
उस वक़्त भी तो खड़ा था चुपचाप,
जब तुमने मुझे काटना शुरू किया था.