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बुधवार, 31 अगस्त 2022

६६४. नल

 



क्यों सिसकता रहता है हर वक़्त 

मेरे घर का नल?

खुलकर रोता क्यों नहीं?

दहाड़ें मारकर रोए,

तो शायद कोई इलाज भी करवाए. 

***

कुछ बोलता नहीं,

रोता ही रहता है 

मेरे घर का नल,

वह कुछ कहता नहीं,

मैं कुछ समझता नहीं. 

***

रात भर जगा रहता हूँ,

रो लेता हूँ कभी-कभी,

उचटती रहती है नींद 

मेरे घर के नल की,

वह भी टपका देता है 

एकाध बूँद पानी. 

***

नल चू रहा है,

तो चूने दो थोड़ी देर,

अच्छा नहीं होता हमेशा 

रोते को चुप कराना. 


शनिवार, 27 अगस्त 2022

६६३. उसकी खाँसी

 


बरामदे के कोने में 

वह चुपचाप पड़ी रहती है, 

कोई नसीहत नहीं देती,

कोई टाँग नहीं अड़ाती. 


जो दे दो,पहन लेती है,

जो खिला दो,खा लेती है, 

जहाँ ले जाओ,चली जाती है, 

जहाँ छोड़ दो, रह जाती है. 


न कुछ मांगती है,

न ज़िद करती है, 

कभी कोई डाँट दे,

तो बस सुन लेती है. 


कोई शिकायत नहीं करती,

आँसू तक नहीं बहाती,

फिर भी वह मुझे नहीं सुहाती,

क्योंकि वह खाँसती बहुत है. 


बुधवार, 24 अगस्त 2022

६६२.उस पार

 


मत उतरो उफनती नदी में,

उस पार कौन है,

जिसे तुम्हारा इंतज़ार है?


वह रौशनी जो तुम्हें दिख रही है,

कुछ और नहीं,भ्रम है, 

अँधेरा ही अँधेरा है वहाँ -

लील लेने वाला अँधेरा . 


मत उठाओ जोखिम,

मत उतरो उफनती नदी में,

उस पार कुछ भी नहीं है,

जो कुछ भी तुम्हारा है, 

यहाँ इसी पार है. 


शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

६६१. मुस्कराहट

 



सुनो,

तुमने सूट कहाँ से ख़रीदा,

बता दिया,

मेकअप का सामान कहाँ से लिया,

बता दिया,

चप्पलें कहाँ से ख़रीदीं,

बता दिया, 

गहने कहाँ से लिए,

यह भी बता दिया।


नहीं बताया,

तो बस इतना 

कि बिग बाज़ार से,

शॉपर्स स्टॉप से

या पैंटालूंस से,

कहाँ से ख़रीदी

तुमने यह मुस्कराहट?  



मंगलवार, 9 अगस्त 2022

६६०.सीलन

 


इस दीवार पर,

जो कभी सूखी हुई थी,

अब सीलन के धब्बे हैं,

जैसे बहुत देर रोकर 

पोंछ लिए हों किसी ने 

गालों पर ढलके आँसू. 

***

मैं घर छोड़कर गया था,

तो दीवार बिल्कुल सूखी थी,

अब इस पर सीलन के निशान हैं,

लगता है, मेरे पीछे से 

बहुत रोई है दीवार. 

***

इस सूखी दीवार में 

हल्की-सी सीलन है,

इसे रोकना ज़रूरी है,

सिसकी को न समझो,

तो रुलाई फूट जाती है.

***

बहुत दिनों से यहाँ 

कोई भी नहीं है, 

पर यहाँ की दीवारें 

सीलन से भर गई हैं,

लगता है,अच्छा नहीं लगा 

घर को अकेले रहना. 

***

उदास हो गया था घर,

मुझे भी अच्छा नहीं लगा  

उसे छोड़कर जाना,

मेरे आँसू सूख गए हैं,

घर की दीवारें अभी गीली हैं. 

***

थोड़ी-सी सीलन 

दीवारों पर रहने दो, 

अच्छा लगता है सोचकर

कि घर को मेरी ज़रूरत थी.   

 Photo: courtesy Dreamstime


मंगलवार, 2 अगस्त 2022

६५९.इमारत

 



वह इमारत आज फिर उदास है,

आज फिर कोई कूदा है उसकी छत से. 


उस इमारत में कोई नहीं रहता,

वह बस कूदने के काम आती है, 

इमारत का दिल बहुत धड़कता है,

जब कोई उसकी सीढ़ियाँ चढ़ता है. 


इमारत चाहती है ज़मींदोज़ होना,

आसमान छूना पसंद नहीं उसे,

वह चाहती है, जहाँ वह खड़ी है,

कोई छोटी-सी झोपड़ी बने वहाँ ,

जिस पर से कोई कूद न सके,

कूद भी जाय, तो मर न सके.