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शुक्रवार, 29 मई 2020

४४०. प्रवासी

वह जो चला था 
कभी परदेस से 
अपने गाँव नहीं पहुंचा है,
रास्ते में ही कहीं फंसा है,
न आगे जा सकता है,
न पीछे लौट सकता है.

वह जो चला था 
कभी परदेस से 
बहुत परेशान है,
करे तो क्या करे,
उसकी जान उसके 
कंठ में अटकी है,
न आगे आ सकती है,
न पीछे लौट सकती है.

मंगलवार, 26 मई 2020

४३९. यात्रा

'रागदिल्ली' वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी कविता: 
मुझे नहीं देखने
शहरों से गाँवों की ओर जाते
अंतहीन जत्थे,

रविवार, 24 मई 2020

४३८.ख़तरा

Call, At Home, Stay, Contact Lock

खिड़कियाँ बंद हैं,
दरवाज़े बंद हैं,
टहल रही है घर भर में 
वही बासी हवा.

सुबह से शाम तक 
वही दीवारें, वही छत,
मुश्किल है अब बंद रहना,
बाहर निकलने से बचना.

जी चाहता है, 
खुली हवा में सांस लें,
निकल चलें बाहर,
पर ख़तरा है,
जो अब भी खड़ा है,
लक्ष्मण-रेखा है,
जो अब भी खिंची है.

शुक्रवार, 22 मई 2020

४३७. मकान और घर

House, Front, Green, Door, Window

लॉकडाउन  में 
वह बाहर नहीं है,
न ही घर में है,
वह मकान में है,
ईंट,सीमेंट की 
दीवारों के साथ.

उसे अब अन्दर का 
लॉकडाउन तोड़ना है,
थोड़ा-सा अपनापन,
थोड़ा प्यार छिड़कना है,
उसे अपने मकान को 
घर बनाना है.

सोमवार, 18 मई 2020

४३६. चलो, सोचते हैं

Covid Doctor, Fight Corona, St

अपने-अपने घरों मेंक़ैद हैं सब,
चलो, सोचते हैं, बाहर के बारे में,
उस कामवाली बाई के बारे में,
जिसकी पगार काटने को तैयार रहते हैं,
उन दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में,
जो रोज़ कमाते,रोज़ खाते हैं,
उन डॉक्टरों,नर्सों के बारे में,
जो जान पर खेलकर जान बचाते हैं.

महसूसने के लिए,
कुछ करने के लिए,
सड़कों पर निकलना,
हाथ मिलाना,
गले लगना,
बिल्कुल ज़रूरी नहीं है.

शनिवार, 16 मई 2020

४३५. तब और अब

Stay Home, Lockdown, Stay Safe

जब मिलने के अवसर बहुत थे,
हम कतराकर निकल जाते थे,
अब लॉकडाउन में घर पर हैं,
तो मिलने को तरसते हैं.
***
जब सड़कें भरी होती थीं,
हम खोजते थे शांति,
अब सब शांत है,
तो हमें चाहिए कोलाहल.
***
जब समय नहीं मिलता था,
हम तलाशते थे आराम,
अब समय ही समय है,
तो हम खोजते हैं काम.


बुधवार, 13 मई 2020

४३४. लॉकडाउन में

Road, Sunrise, Trees, Avenue, Yellow

आओ, बालकनी में चलें,
सूरज को उगते हुए देखें,
परिंदों को चहकते हुए सुनें,
पत्तियों को हिलते हुए देखें.

महसूस करें कि सुबह-सुबह 
हवा कितनी ताज़ा होती है,
फूल कितने सुन्दर लगते हैं,
तितलियाँ कैसे मचलती हैं.

लताएँ कसकर लिपट गई हैं 
ऊंचे पेड़ों के सीने से,
बादल घूम रहे हैं आकाश में 
इधर से उधर मस्ती में.

शाम को खिड़की पर खड़े होंगे,
डूबता हुआ सूरज देखेंगे,
महसूस करेंगे कि उगते सूरज से 
डूबता सूरज कितना अलग होता है.

आओ, देख लें अनदेखा,
सुन लें अनसुना,
न जाने फिर ऐसा अवसर 
कभी मिले न मिले.

सोमवार, 11 मई 2020

४३३. लॉकडाउन में साथ-साथ

Couple, Female, Love, Male, Man

लॉकडाउन में हैं,
साथ-साथ हैं,
मगर चुप हैं,
महसूस कर रहे हैं
रिश्तों की भीनी-सी आंच.

कुछ बोलेंगे,
तो कम हो सकती हैं  
ये नजदीकियाँ,
शब्दों के नीचे 
दब सकते हैं अहसास.

इतना बहुत है 
कि हम साथ-साथ हैं,
बोलना ज़रूरी नहीं है,
बोलने से कहीं 
बेअसर न हो जाय लॉकडाउन.

गुरुवार, 7 मई 2020

४३२. आने दो अन्दर

White, Window, Glass, Shield, Frame

खिड़कियाँ खोल दो,
सूरज को अन्दर आने दो,
स्वागत करो हवा के झोंकों का,
नए मौसम की फुहारों का.

गमलों में तुमने जो फूल लगाए थे,
उनकी ख़ुशबू अन्दर आना चाहती है,
पौधों की कुछ सूखी पत्तियां 
कब से देहरी पर  खड़ी हैं,
कुछ परिंदे बैठे हैं मुंडेर पर,
शीशे से टकरा रहे हैं उनके गीत.

मत रोको,
आ जाने दो सबको अन्दर,
लॉकडाउन के दिनों में ख़त्म कर दो 
कुछ गैर-ज़रूरी लॉकडाउन.

सोमवार, 4 मई 2020

४३१. लॉकडाउन में गौरैया

Sparrows, Two, Birds, Pair, Plumage

घर में अकेले हो,
तो आने दो गौरैया को अन्दर,
बना लेने दो घोंसला,
चिंचियाने दो उसे,
हो जाने दो ज़रा-सी गन्दगी.

बस थोड़ा सा सह लो,
फिर देखना,
अकेले नहीं रहोगे तुम,
उदासी नहीं घेरेगी तुम्हें,
लॉकडाउन तुम्हें अच्छा लगेगा.