वह जो चला था
कभी परदेस से
अपने गाँव नहीं पहुंचा है,
रास्ते में ही कहीं फंसा है,
न आगे जा सकता है,
न पीछे लौट सकता है.
वह जो चला था
कभी परदेस से
बहुत परेशान है,
करे तो क्या करे,
उसकी जान उसके
कंठ में अटकी है,
न आगे आ सकती है,
न पीछे लौट सकती है.
कभी परदेस से
अपने गाँव नहीं पहुंचा है,
रास्ते में ही कहीं फंसा है,
न आगे जा सकता है,
न पीछे लौट सकता है.
वह जो चला था
कभी परदेस से
बहुत परेशान है,
करे तो क्या करे,
उसकी जान उसके
कंठ में अटकी है,
न आगे आ सकती है,
न पीछे लौट सकती है.