बहुत अजीब लगता है,
जब कोई कहता है
कि वह ज़बान का कड़वा,
पर दिल का बहुत साफ़ है.
क्या महत्व है इसका
कि कोई दिल का कैसा है?
क्या मतलब हो सकता है किसी को
किसी अजनबी के दिल से?
यह कड़वी ज़बान ही तो है,
जो सीधे दिल पर चोट करती है.
अच्छा तो यही है
कि ज़बान मीठी हो,
जो तुरंत असर करे,
फ़ौरन खुशी पंहुचाए,
अंदर से कोई बुरा हो तो हो.
दिल का कोई कैसा भी हो,
जो न दिखता है,
न महसूस होता है,
वह कैसा भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है?
जब कोई कहता है
कि वह ज़बान का कड़वा,
पर दिल का बहुत साफ़ है.
क्या महत्व है इसका
कि कोई दिल का कैसा है?
क्या मतलब हो सकता है किसी को
किसी अजनबी के दिल से?
यह कड़वी ज़बान ही तो है,
जो सीधे दिल पर चोट करती है.
अच्छा तो यही है
कि ज़बान मीठी हो,
जो तुरंत असर करे,
फ़ौरन खुशी पंहुचाए,
अंदर से कोई बुरा हो तो हो.
दिल का कोई कैसा भी हो,
जो न दिखता है,
न महसूस होता है,
वह कैसा भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है?