शनिवार, 30 मार्च 2019
शनिवार, 23 मार्च 2019
३५१. तिनका
मैं छोटा सा तिनका हूँ,
कोई दम नहीं है मुझमें,
हवा मुझे उड़ा सकती है,
पानी बहा सकता है.
कोई चाहे तो आसानी से
तोड़ सकता है मुझे,
टुकड़े कर सकता है मेरे.
पर मौक़ा मिल जाय,
तो मेरा छोटा-सा टुकड़ा भी
उन आँखों को फोड़ सकता है,
जिनमें मेरा होना चुभता है.
शुक्रवार, 15 मार्च 2019
शुक्रवार, 8 मार्च 2019
शुक्रवार, 1 मार्च 2019
३४८. ब्रह्मपुत्र से
ब्रह्मपुत्र,
बहुत दिनों बाद मिला हूँ तुमसे,
कुछ सूख से गए हो तुम,
कुछ उदास से लगते हो,
कौन सा ग़म है तुम्हें,
किस बात से परेशान हो?
अब पहले जैसे गरजते नहीं तुम,
चुपचाप बहे चले जाते हो,
तट पर बसे लोगों से उदासीन,
जैसे नाराज़ हो उनसे।
ब्रह्मपुत्र,
बहुत ग़लतियाँ हुई हैं हमसे,
पर हम तुम्हारी ही संतान हैं,
चाहो तो डुबा दो हमें,
पर पहले की तरह ठठाकर बहो,
हमसे यूँ मुंह न मोड़ो।
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