१२.आधा अमरूद
मन फिरे, दिल टूटे,
ख़त्म हुए रिश्ते-नाते.
बँट गई ज़मीन-जायदाद,
अलग हुए बर्तन-भांडे,
संवाद पर लगे ताले,
खिंच गई दीवार आँगन में.
दीवार के इस ओर मैंने
अमरूद का पौधा लगाया,
खाद-पानी डाला,
झाड़-झंखाड़ हटाया,
हवा-तूफ़ान से बचाया,
हरा-भरा पेड़ बनाया.
एक बेशर्म डाली
बिना बताए
चुपके से चली गई
दीवार के उस पार,
उसी पर फला है पहला अमरूद.
मैंने उधर संदेशा भिजवाया है
कि आधा अमरूद इधर भिजवा दें.
मन फिरे, दिल टूटे,
ख़त्म हुए रिश्ते-नाते.
बँट गई ज़मीन-जायदाद,
अलग हुए बर्तन-भांडे,
संवाद पर लगे ताले,
खिंच गई दीवार आँगन में.
दीवार के इस ओर मैंने
अमरूद का पौधा लगाया,
खाद-पानी डाला,
झाड़-झंखाड़ हटाया,
हवा-तूफ़ान से बचाया,
हरा-भरा पेड़ बनाया.
एक बेशर्म डाली
बिना बताए
चुपके से चली गई
दीवार के उस पार,
उसी पर फला है पहला अमरूद.
मैंने उधर संदेशा भिजवाया है
कि आधा अमरूद इधर भिजवा दें.