दूर अँधेरे में चमकती एक बत्ती,
पहले एक छोटे-से बिन्दु की तरह,
फिर धीरे-धीरे बढ़ती हुई,
पास, और पास आती हुई.
जूतों के तस्मे अब बंधने लगे हैं,
खड़े हो गए हैं सब अपनी जगह,
उठा लिए हैं बक्से हाथों में,
थाम ली हैं बच्चों की उँगलियाँ.
अब अँधेरा दूर होगा,
मंज़िल की ओर कूच करेंगे सब,
बस कुछ ही देर की बात है,
रेलगाड़ी प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचनेवाली है.
पहले एक छोटे-से बिन्दु की तरह,
फिर धीरे-धीरे बढ़ती हुई,
पास, और पास आती हुई.
जूतों के तस्मे अब बंधने लगे हैं,
खड़े हो गए हैं सब अपनी जगह,
उठा लिए हैं बक्से हाथों में,
थाम ली हैं बच्चों की उँगलियाँ.
अब अँधेरा दूर होगा,
मंज़िल की ओर कूच करेंगे सब,
बस कुछ ही देर की बात है,
रेलगाड़ी प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचनेवाली है.