साल-भर मैंने तुम्हारा साथ दिया,
तुम्हारे सुख में हंसा, तुम्हारे दुःख में रोया,
तुम्हारी सफलताओं पर इतराया,
तुम्हारी विफलताओं पर हौसला बढ़ाया,
तुम सोये, पर मैं जागता रहा,
आराम नहीं किया पल भर भी,
फिर क्यों फेर लिया मुंह तुमने,
क्यों झटक दी ऊँगली जो थाम रखी थी?
नए साल के स्वागत में इतना खो गए
कि तुम भूल ही गए,
कभी मैं भी तुम्हारे साथ था,
मुझे विदा करना तो दूर
मुड़ कर भी नहीं देखा तुमने.
अरे स्वार्थी, निष्ठुर, एहसानफ़रामोश,
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर,
फिर लौट कर नहीं आऊँगा,
तुम पुकारोगे तो भी नहीं,
पर जाते-जाते दुआ करूँगा
कि जैसा तुमने मेरे साथ किया,
कोई तुम्हारे साथ न करे.