लाल किले जितना बड़ा दिल्लीवालों का दिल, यमुना जैसा छिछला उनका गुस्सा, क़ुतुब मीनार जितनी ऊंची उनकी सोच, जामा मस्जिद जैसे पाक उनके इरादे. क्या आपको लगता है कि आप उस दिल्ली में हैं, जिसमें ऐसे लोग रहते हैं?
इस बार मिलने आऊँ, तो ए .सी. बंद कर देना, खिड़कियाँ खोल देना, आने देना अन्दर तक बारिश में भीगी हवाएं. मत बनाना मेरे लिए पकवान, झालमुड़ी का एक दोना बहुत होगा, काजू, पिस्ता,बादाम नहीं, थोड़ी-सी मूंगफली मंगवा लेना. फिर चलेंगे गली के नुक्कड़ पर उसी पुराने लैम्पपोस्ट के पास, बातें करेंगे घंटों खड़े होकर, भूल जाएंगे घुटनों का दर्द.
बोलो कि चुप रहना ज़रूरी नहीं है, न ही यह तुम्हारे हित में है. हो सकता है, तुम्हारे चुप रहने से यह मान लिया जाय कि तुम्हें बोलने की ज़रूरत ही नहीं और तुम्हारी जीभ काट ली जाय. यह भी हो सकता है कि आज तुम्हारे चुप रहने से दूसरे लोग तब चुप रहें, जब उनका बोलना तुम्हारे लिए बेहद ज़रूरी हो. डरो मत, बोलो, गूंगे भी चुप नहीं रहते, तुम्हारे मुंह में तो फिर भी ज़ुबान है.