बोलो
कि चुप रहना ज़रूरी नहीं है,
न ही यह तुम्हारे हित में है.
हो सकता है,
तुम्हारे चुप रहने से
यह मान लिया जाय
कि तुम्हें बोलने की ज़रूरत ही नहीं
और तुम्हारी जीभ काट ली जाय.
यह भी हो सकता है
कि आज तुम्हारे चुप रहने से
दूसरे लोग तब चुप रहें,
जब उनका बोलना
तुम्हारे लिए बेहद ज़रूरी हो.
डरो मत, बोलो,
गूंगे भी चुप नहीं रहते,
तुम्हारे मुंह में तो फिर भी ज़ुबान है.
कि चुप रहना ज़रूरी नहीं है,
न ही यह तुम्हारे हित में है.
हो सकता है,
तुम्हारे चुप रहने से
यह मान लिया जाय
कि तुम्हें बोलने की ज़रूरत ही नहीं
और तुम्हारी जीभ काट ली जाय.
यह भी हो सकता है
कि आज तुम्हारे चुप रहने से
दूसरे लोग तब चुप रहें,
जब उनका बोलना
तुम्हारे लिए बेहद ज़रूरी हो.
डरो मत, बोलो,
गूंगे भी चुप नहीं रहते,
तुम्हारे मुंह में तो फिर भी ज़ुबान है.
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक जागरूकता का आह्वान करती रचना।
जवाब देंहटाएंबोल कि लब आजाद है तेरे....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,कभी कभी बोलना बहुत जरूरी होता हैं,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंअपना एहसास कराना जरूरी है ... बोलना जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ...
Wah!
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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