बहुत आराम कर लिया, अब तो उठ,
सूरज आसमान में है, अब तो उठ.
कब तक बैठेगा मायूस होकर,
फ़िसल रहा है जीवन, अब तो उठ.
शर्म आ रही थी तुझे हाथ फैलाने में,
वह ख़ुद देने आया है, अब तो उठ.
किसी को नहीं मिलता बार-बार मौक़ा,
हो रही है दस्तक, अब तो उठ.
सुना नहीं तूने रोना बेक़सूरों का,
इन्तहाँ हो गई है अब, अब तो उठ.
आसान नहीं ख़ुद से नज़रें मिलाना,
आईना दिखाना है तुझे, अब तो उठ.
वैसे तो बंद हैं तेरे कान एक अरसे से,
ज़मीर पुकार रहा है, अब तो उठ.