मत सोखो मुझे,
यहीं मिट्टी में बहने दो,
प्यासे होंठों को मेरी ज़रूरत है,
बीज प्रस्फुटित होंगे मुझसे,
हरियाली को मेरी ज़रूरत है.
मुझे नहीं जाना कहीं और,
मुझे नहीं उड़ना आसमान में,
मैं नीचे ही ठीक हूँ,
जीवन को मेरी ज़रूरत है.
चलो, नहीं मानते,तो सोख लो मुझे,
ले चलो मुझे आसमान में,
मैं वहाँ खुश नहीं रहूँगा,
इधर से उधर भटकता रहूँगा
और जैसे ही मौका मिला,
बरस जाऊँगा,
फिर से मिट्टी में मिल जाऊँगा.