इतनी बेरुखी से
मुझे अकेला छोड़कर
इस तरह मत जाना,
तुम्हें पुराने दिनों का वास्ता.
उन रातों का वास्ता
जो कभी चाँद को देखते
हमने एक साथ बिताई थीं.
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भूल तो नहीं गई तुम
वो जन्मों के साथ का वादा,
और वे बेशुमार पल,
जिनमें कहना मुश्किल था
कि हम दो हैं या एक.
मेरी बात पर गौर करना,
जाने की ज़िद न करना,
फिर भी तुम्हें लगे कि
जाना ही है,तो चली जाना,
बस एक बार मुड़कर देख लेना,
भ्रम रहेगा कि मैं आज भी
तुम्हारे दिल के किसी कोने में हूँ.
सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
जीने के लिए बहुत ज़रूरी है
भ्रम...