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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

३०. भ्रम


इतनी बेरुखी से 
मुझे अकेला छोड़कर 
इस तरह मत जाना,
तुम्हें पुराने दिनों का वास्ता.

उन रातों का वास्ता
जो कभी चाँद को देखते 
हमने एक साथ बिताई थीं.
.
भूल तो नहीं गई तुम
वो जन्मों के साथ का वादा,
और वे बेशुमार पल,
जिनमें कहना मुश्किल था 
कि हम दो हैं या एक.

मेरी बात पर गौर करना,
जाने की ज़िद न करना,
फिर भी तुम्हें लगे कि
जाना ही है,तो चली जाना,
बस एक बार मुड़कर देख लेना,
भ्रम रहेगा कि मैं आज भी 
तुम्हारे दिल के किसी कोने में हूँ.

सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
जीने के लिए बहुत ज़रूरी है 
भ्रम...






7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर................

    जिया जा सकता है किसी झूठी आस के सहारे ही.....

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  2. सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
    जीने के लिए बहुत ज़रूरी है
    भ्रम...

    ....बहुत सच कहा है...बहुत भावपूर्ण सुंदर रचना...

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  3. जीने के लिए भ्रम जरूरी है। सच्चाई हम सह नहीं पाते।

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  4. सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
    जीने के लिए बहुत ज़रूरी है
    भ्रम...दुखद पर सत्य

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  5. भूल तो नहीं गई तुम
    वो जन्मों के साथ का वादा,
    और वे बेशुमार पल,
    जिनमें कहना मुश्किल था
    कि हम दो हैं या एक.

    जीवन और प्रेम का एक नया आयाम उभर आया है आपकी इन पंक्तियों में ...!

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  6. सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
    जीने के लिए बहुत ज़रूरी है
    भ्रम...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन रचना,....

    MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....

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  7. सच, कुछ भ्रमों का बने रहना आवश्यक होता है जीवन के लिए...

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