मैंने छोड़ दिया है अब
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी.
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी.