गहरी काली रात,
न चाँद, न सितारे,
न कोई किरण रौशनी की.
चारों ओर पसरा है
डरावना सन्नाटा,
सिर्फ़ सांय-सांय
हवा बह रही है.
दुबके हैं लोग घरों में,
कुछ नींद में हैं,
तो कुछ होने का
नाटक कर रहे हैं.
लम्बी गहरी रात
अब ऊब रही है,
जाने को बेचैन है,
पर ख़ुद नहीं जायेगी.
ज़रा ध्यान से सुनो,
जिस रात से तुम सहमे हुए हो,
वह तुमसे कह रही है
कि सोनेवालों, उठो,
मुझे भगाने की पहल करो,
सूरज तुम्हारे दरवाज़े पर
दस्तक दे रहा है.
न चाँद, न सितारे,
न कोई किरण रौशनी की.
चारों ओर पसरा है
डरावना सन्नाटा,
सिर्फ़ सांय-सांय
हवा बह रही है.
दुबके हैं लोग घरों में,
कुछ नींद में हैं,
तो कुछ होने का
नाटक कर रहे हैं.
लम्बी गहरी रात
अब ऊब रही है,
जाने को बेचैन है,
पर ख़ुद नहीं जायेगी.
ज़रा ध्यान से सुनो,
जिस रात से तुम सहमे हुए हो,
वह तुमसे कह रही है
कि सोनेवालों, उठो,
मुझे भगाने की पहल करो,
सूरज तुम्हारे दरवाज़े पर
दस्तक दे रहा है.