कविता लिखो,
तो सादी मत लिखना,
कौन पसंद करता है आजकल
सादी कविता ?
तेज़ मसाले डालना उसमें,
मिर्च डालो,
तो तीखी डालना,
ऐसी कि पाठक पढ़े,
तो मुंह जल जाय उसका,
आंसू निकल जायँ उसके,
पता चल जाय उसे
कि किसी कवि से पाला पड़ा था.
कविता लिखो,
तो रेसिपी ऐसी रखना
कि समझ ही न पाए पाठक
कि वह बनी कैसे है.
ऐसी कविता लिख सके तुम,
तो डर जाएगा पढ़नेवाला,
वाह-वाह कर उठेगा
और अगर सादी कविता लिखी,
उसकी समझ में आ गई,
तो हो सकता है
वह तुम्हें कवि मानने से ही
इन्कार कर दे.
तो सादी मत लिखना,
कौन पसंद करता है आजकल
सादी कविता ?
तेज़ मसाले डालना उसमें,
मिर्च डालो,
तो तीखी डालना,
ऐसी कि पाठक पढ़े,
तो मुंह जल जाय उसका,
आंसू निकल जायँ उसके,
पता चल जाय उसे
कि किसी कवि से पाला पड़ा था.
कविता लिखो,
तो रेसिपी ऐसी रखना
कि समझ ही न पाए पाठक
कि वह बनी कैसे है.
ऐसी कविता लिख सके तुम,
तो डर जाएगा पढ़नेवाला,
वाह-वाह कर उठेगा
और अगर सादी कविता लिखी,
उसकी समझ में आ गई,
तो हो सकता है
वह तुम्हें कवि मानने से ही
इन्कार कर दे.