सूरतें याद करो,
महसूस करो दर्द
कुछ इस तरह
कि आँखों में आँसू आ जाएँ,
आँसू नहीं तो कम-से-कम
उदासी ही छा जाय चेहरे पर,
यह भी संभव नहीं,
तो भावहीन ही दिखो।
इस आपदा की घड़ी में
जब जवान,बूढ़े,अपने-पराए
विदा हो रहे हों एक-एक करके,
जब कभी भी आ सकता हो
कोई भी बुरा समाचार,
किसी भी बात पर ख़ुश होना
अपराध-सा महसूस होता है.