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शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

६१५. इंसान

 


इंसान हो,तो साबित करो,

कहने से क्या होता है?


दूसरों के दुःख से 

दुखी होकर दिखाओ,

दूसरों के आँसुओं से 

पिघलकर दिखाओ. 


दूसरों की कामयाबी पर 

ख़ुश होकर दिखाओ,

जो हार चुके हैं सर्वस्व,

उन्हें गले लगाकर दिखाओ. 


भूखे की रोटी,

प्यासे का पानी,

नंगे का कपड़ा,

बेघर का घर बन के दिखाओ. 


किसी बेजान दिल की 

धड़कन बन के दिखाओ,

गहरे अँधेरे में 

दिया बन के दिखाओ,

घनघोर जंगल में 

पगडंडी बन के दिखाओ. 


इंसान हो तो साबित करो,

कहते तो सभी हैं,

कहने से क्या होता है?


रविवार, 24 अक्तूबर 2021

६१४.भगवान बचाए

 

तय किया है उन्होंने कि जनसेवा करेंगे,

संकल्प से उनके भगवान बचाए. 


वे करते कम हैं, गिनाते ज़्यादा हैं,

मेहरबानियों से उनकी भगवान बचाए. 


वे भी आमंत्रित हैं आज के जलसे में,

कविताओं से उनकी भगवान बचाए. 


सुना है,वे आएँगे पीड़ितों से मिलने,

दौरों से उनके भगवान बचाए. 


क़ातिलाना है उनकी प्यार-भरी नज़रें,

प्यार से उनके भगवान बचाए. 


गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

६१३. गुल्लक


एक गुल्लक है,

जिसमें सालों से 

मैं पैसे डाल रहा हूँ,

मैंने इसे कभी तोड़ा नहीं,

शायद कभी तोड़ूंगा भी नहीं,

पर जब मैं गुल्लक को हिलाता हूँ 

और सिक्कों की खनक सुनाई देती है,

तो न जाने क्यों, मुझे बहुत अच्छा लगता है. 

***

कब तक ख़ुश होते रहोगे 

सिक्कों की खनखनाहट सुनकर,

कभी तो गुल्लक उठाओ,

दे मारो ज़मीन पर,

बिखर जाने दो सिक्के,

लूट लेने दो, जिसे भी लूटना है,

जितना भी लूटना है.  

**

गुल्लक में खनकते सिक्के कहते हैं,

बहुत साल हुए हमें बंद हुए,

हमें आज़ाद करो,

किसी के तो काम आने दो.


मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

६१२.सपने

 


आजकल परेशान हूँ मैं,

नींद नहीं आती मुझे,

इधर से उधर करवटें बदलते 

पूरी रात गुज़र जाती है,

सपने देखे तो जैसे 

मुझे एक अरसा हो गया. 


मुसीबत में हूँ मैं इन दिनों,

नींद नहीं आती, तो  सपने नहीं आते 

और सपने न देखूं,तो नींद नहीं आती. 


रविवार, 17 अक्तूबर 2021

६११. मृत्यु



थोड़ी देर के लिए 

वह कहीं चला क्या गया,

लौटकर आया तो देखा,

उसका शरीर ग़ायब था,

फूँक दिया गया था उसे,

राख बन चुका था वह. 


अब उसके पास कोई चारा नहीं था 

सिवाय इसके कि वह मर जाए. 


गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

६१०.दशहरा



दशहरे पर रावण उदास था,

समझ नहीं पा रहा था 

कि उसे ही क्यों फूँका जा रहा है,

जबकि कई मौजूद हैं उस जैसे. 

**

राक्षस जो घूम रहे हैं खुले में 

धूमधाम से मनाएँगे दशहरा,

ख़ुद को छिपाने के लिए 

ज़रूरी है किसी और को फूँकना।

**

अगर फूँकना ही है रावण को,

तो ठीक से फूँको,

यह क्या कि इस साल फूँका,

तो अगले साल फिर आ गया. 

**

थोड़ा-थोड़ा रावण सब में है,

जो पूरा रावण फूँकते हैं,

उन्हें नहीं चाहिए बख़्शना 

अपने अंदर के रावण को. 

**

सोचा था, दशहरा मैदान में 

बहुत से पुतले होंगे,

पर इस बार भी तीन ही थे,

हर बार की तरह इस बार भी 

उन्हें ही फूँका गया.


सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

६०९. फ़ेसबुक पर तस्वीर

 


देखो, हमारी यह तस्वीर,

कितने अच्छे लग रहे हैं हम,

साथ-साथ कितने ख़ुश,

खुलकर मुस्कराते  हुए. 


मुश्किल से आ पाए हम इतने क़रीब,

मुस्करा पाए इस तरह,

ख़ुश लग पाए इतने,

फ़ोटो खिंचवाने लायक बन पाए.  


चलो, अब इसे फ़ेसबुक पर लगा दें,

लोग बातें करें कि देखो, कितने ख़ुश हैं,

कमेंट करें,लाइक करें,शेयर करें,

कुछ शायद जल-भुन भी जायँ

कि हम उनसे ज़्यादा ख़ुश क्यों हैं.


साल में एकाध बार ही सही 

ऐसी तस्वीर अगर खिंच जाय,

तो फ़ेसबुक हक़ीक़त को 

बड़ी आसानी से ढक देती है. 


सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

६०८.डॉक्टर



अस्पताल का डॉक्टर

हमेशा कहता था 

कि मैं उसके लिए 

बस एक मरीज़ हूँ,

न इससे ज़्यादा,

न  इससे कम.

 

वह हमेशा कहता था 

कि उसे बस रोग दिखता है,

रोगी नहीं, 

डॉक्टर का काम है 

बस इलाज करना,

वर्जित है उसके लिए

रोगी से कोई लगाव. 


अस्पताल का डॉक्टर 

हमेशा यही कहता था, 

क्योंकि वह ख़ुद से डरता था,

वह जानता था 

कि डॉक्टर भी इंसान होते हैं. 



शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

६०७.डूबना

 


बहुत से लोग खड़े थे 

इंतज़ार में साहिल पर

कि मैं डूब जाऊँ,

तो वे बचाने आएँ.

**

मैं जब डूब रहा था,

कई गोताखोर थे साहिल पर,

पर तय नहीं कर पा रहे थे 

कि मुझे कौन बचाएगा. 

**

तैरना नहीं आता,

तो शांति से डूब जाओ,

जो साहिल पर खड़े हैं,

तुम्हें बचाने नहीं,

तमाशा देखने आए हैं. 

**

लहर कहती है,

आओ,मेरे साथ चलो,

ये जो साहिल पर खड़े हैं,

ऐसे बहुतेरे देखे हैं मैंने. 

***

साहिल की ओर देखोगे,

तो मायूसी हाथ लगेगी,

कोई बचाने नहीं आएगा,

चैन से मर भी नहीं पाओगे.