भगवान,मैं मानता हूँ
कि तुम बहुत बड़े इंजीनियर हो.
तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए,
हर एक दूसरों से अलग,
हर एक का अलग चेहरा-मोहरा,
हर एक की अलग कद-काठी,
हर एक का अलग रंग-रूप.
पर शायद कुछ युद्ध टल जाते,
शायद कुछ भाईचारा बढ़ जाता,
शायद दुनिया कुछ रहने लायक हो जाती,
शायद दुःख कुछ कम हो जाता,
अगर तुम ऐसा नहीं करते.
भगवान, मुझे लगता है
कि तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए,
यहाँ तक तो ठीक था,
पर हर एक को अलग बनाकर
तुमने अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल
ज़रूरत से थोड़ा ज़्यादा कर दिया.
भगवान, क्या तुम्हें नहीं लगता
कि जो दुनिया तुमने ख़ुद बनाई,
वह तुम्हारी विलक्षण प्रतिभा की
शिकार हो गई.