कल शाम तेज़ तूफ़ान आया,
भटकता रहा गलियों में,
चिल्लाता रहा ज़ोर-ज़ोर से,
पेड़ों को झकझोरता रहा
काग़ज़ के टुकड़े उड़ाता रहा,
पीटता रहा दरवाज़े-खिड़कियाँ.
कोई नहीं मिला उसे,
न सड़कों पर,न गलियों में,
किसी ने नहीं खोला दरवाज़ा.
कल शाम तूफ़ान
मिलना चाहता था किसी से,
मुलाक़ात नहीं हुई,
तो फूट-फूट रोया,
सबने कहा,
तेज़ बरसात हो रही है.