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शनिवार, 29 अगस्त 2020

४७५. तूफ़ान

Key West, Florida, Hurricane Dennis

कल शाम तेज़ तूफ़ान आया,

भटकता रहा गलियों में,

चिल्लाता रहा ज़ोर-ज़ोर से,

पेड़ों को झकझोरता रहा 

काग़ज़ के टुकड़े उड़ाता रहा,

पीटता रहा दरवाज़े-खिड़कियाँ.


कोई नहीं मिला उसे, 

न सड़कों पर,न गलियों में,

किसी ने नहीं खोला दरवाज़ा.


कल शाम तूफ़ान 

मिलना चाहता था किसी से,

मुलाक़ात नहीं हुई,

तो फूट-फूट रोया,

सबने कहा,

तेज़ बरसात हो रही है.

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

४७४. औरतें

Cacti, Cactus, Cactuses, Plants, Cactus

कैक्टस जैसी होती हैं औरतें,

तपते रेगिस्तान में 

बिना पानी, बिना खाद के 

जीवित रहती हैं.

उनके नसीब में नहीं होते 

फूल,पत्ते,कलियाँ, 

ठूंठ की तरह उम्र भर 

जीना पड़ता है उन्हें.

काँटों-भरी होती हैं औरतें,

उनके कांटे हरदम 

उन्हीं को चुभते रहते हैं.


सोमवार, 24 अगस्त 2020

४७३.नाम

Girl, Woman, Female, Person, Mountain

मुझे अच्छा लगता है अपना नाम,

जब पुकारता है कोई धीरे से 

अक्षर-अक्षर में भरकर 

ढेर-सारा प्यार.


भीगी हवाओं की तरह 

मेरे कानों तक पहुँचता है मेरा नाम,

ख़ुशी से भर देता है मेरा पोर-पोर.


मैं कोई जवाब नहीं देता,

बस कान खुले रखता हूँ,

चाहता हूँ कि पुकारनेवाला 

पुकारता ही रहे मेरा नाम,

जवाब दे दूंगा,तो कैसे सुनूँगा

बार-बार लगातार 

उसके मुँह से अपना नाम?

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

४७२.गठरी

Old, Lady, Woman, Elderly, Clothing, Women, Scarf

वह गठरी,

जो कोनेवाले कमरे में पड़ी है,

आज ख़ुश है,

थोड़ी हिलडुल रही है.


गठरी को उम्मीद है 

कि बरसों बाद फिरेंगे 

उसके भी दिन,

आएगा कोई-न-कोई,

पूछेगा उसका हालचाल.


गठरी ने सुना है,

आज सब घर में हैं,

घर में ही रहेंगे,

अगले कई दिनों तक.


गठरी सोचती है,

वह खुलेगी नहीं,

कुछ बोलेगी नहीं,

बस चुपचाप सुनेगी,

गंवाएगी  नहीं  ऐसे पल,

जो बड़ी मुश्किल से मिलते हैं.

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

४७१. आँसू

Sad, Cry, Tear, Facebook, Reaction

मेरे आँसू मेरी बात नहीं सुनते,

मैं बहुत कहता हूँ 

कि पलकों तक मत आना,

अगर आ भी जाओ,

तो बाहर मत निकलना,

पर आँसू कहते हैं,

'सब कुछ तुम पर निर्भर है,

तुम बहुत ख़ुश

या बहुत उदास मत हुआ करो,

हम दूर ही रहेंगे,

किसी को पता नहीं चलेगा 

कि तुम रोते भी हो.

वैसे हमें इतना समझा दो 

कि हम सामने आते हैं,

तो तुम्हें शर्म क्यों आती है,

आख़िर तुम भी तो आदमी हो.'

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

४७०. दीवारें

Door, Contemporary, Within, Wall


अक्सर मैं सोचता हूँ 

कि मेरे दफ़्तर जाने के बाद 

घर की दीवारें 

मेरे बारे में क्या सोचती होंगी.


मेरी आलोचना करती होंगी 

या तारीफ़?

मेरे साथ उदास रहती होंगी 

या ख़ुश?

मुझे अच्छा समझती होंगी 

या बुरा?


मैं सालों से यहीं रहता हूँ,

पर दीवारों ने मुझे

कभी कुछ नहीं कहा,

न ही मैंने कभी पूछा.


कभी-कभार मैं 

जल्दी घर आ जाता हूँ,

पर न जाने कैसे 

दीवारों को पता चल जाता है 

और वे हमेशा की तरह 

ख़ामोश हो जाती हैं.



बुधवार, 12 अगस्त 2020

४६९. खेतों की कविताएँ

 Seed, Sowing, Shoots, Young, Fresh

इस बार जब  

खेत में बोओ 

धान या गेहूँ,

तो मुझे बता देना .


मैं भी बो दूंगा 

आस-पास वहीं 

कविताओं  के बीज,

डाल दूंगा थोड़ी 

कल्पनाओं की खाद,

भावनाओं का पानी.


उन्हीं बीजों से निकलेंगी

खेतों की कविताएँ,

जिनमें महकेगी मिट्टी,

झूमेंगी बालियाँ,

जिनको खोलो,

तो दिखेंगे

धान और गेंहूं के दाने.

रविवार, 9 अगस्त 2020

४६८. पानी

Water, Wastage, Save, Water Public, Tap


मेरे गाँव की औरतें 

जमा होती हैं रोज़ 

सुबह-शाम पनघट पर.

घर से लेकर आती हैं 

मटका-भर उदासी,

वापस ले जाती हैं 

थोड़ा-सा पानी 

और ढेर सारी ख़ुशी.

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

४६७. सरहद के उस ओर

 'रागदिल्ली' वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी कविता:


मैं सरहद के इस ओर से देखता हूँ

उस ओर की हरियाली,

कंटीली तारें नहीं रोक पातीं

मेरी लालची नज़रों को.

सतर्क खड़े हैं बाँके जवान

इस ओर भी, उस ओर भी,

पर वे चुप हैं,

उनकी संगीनें भी चुप हैं.


पूरी कविता पढ़ने के लिए लिंक खोलें. https://www.raagdelhi.com/poetry-onkar-3/

बुधवार, 5 अगस्त 2020

४६६. चोरी

Sunset, Village, Sun, Indian, Dawn

गाँव में बरगद है,
उसके नीचे है चबूतरा,
वहीं बैठते हैं गाँव के लोग,
वहीं करते हैं सुख-दुःख की बातें.

अगली बार गाँव गया,
तो छिप के सुनूंगा 
गाँववालों की बातें,
चुरा लूँगा उनमें से 
कुछ कविताएँ 
और थोड़ी-सी कहानियाँ.

रविवार, 2 अगस्त 2020

४६५ . नाम

Woman, Girl, Freedom, Happy, Sun

मेरा नाम पुराने स्टाइल का है,
थोड़ा लम्बा भी है,
मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है,
पर यही नाम जब कभी 
उसके होंठों पर होता है,
मुझे अच्छा लगता है.

उसकी आवाज़ में घुलकर 
मेरा नाम बन जाता है सुरीला,
मिल जाती है उसे नई पहचान.

यही वह पल है,
जब मुझे लगता है,
शेक्सपियर ने सही कहा था
कि नाम में कुछ नहीं रखा.

यही वह पल है,
जब मुझे लगता है
कि नाम लम्बा होना चाहिए,
कुछ देर होंठों पर तो रहे.