एक मैं हूँ, जो कभी गाता हूँ, तो दरवाज़े-खिड़कियाँ बंद कर लेता हूँ, एक वह चिड़िया है, जो कहीं से उड़ती हुई आती है, मेरी खिड़की के पास मुक्त कंठ से गाती है. मेरी आवाज़ मेरे ही घर में घुटकर रह जाती है, उसका गीत पूरा मुहल्ला सुनता है.
आओ,बाज़ार चलें, थोड़े आदमी ख़रीदें, कुछ को प्यार से ख़रीद लेंगे, कुछ को पैसे से, कुछ डरकर बिक जाएंगे. कुछ को ख़रीदने के लिए आश्वासन ही काफ़ी होगा, कुछ ऐसे भी मिलेंगे, जो बेमोल बिक जाएंगे. आज सौदा ज़रूर करेंगे, भाव ऊंचे रहे तो भी, किसी को ख़रीद नहीं पाए, तो ख़ुद को ही बेच आएँगे.
सुनो, नए घर में जाओ, तो पुराना सामान ध्यान से देख लेना, जो बेकार हो, उसे फेंक देना, जो काम का हो, उसे रख लेना. चादरें रख लेना, धब्बे फेंक देना, धागे रख लेना, गांठें फेंक देना. नए घर में जाओ, तो छिड़क देना कमरों में थोड़ी मुस्कराहट, थोड़ा अपनापन, थोड़ी उम्मीद और कटोरी-भर प्रेम .
वह कुरसी, जो आँगन में पड़ी है, बहुत उदास है. कभी वह बैठक में होती थी, चमचम चमकती थी, बड़ी पूछ थी उसकी, अब वह पुरानी हो गई है, चमक खो गई है उसकी, झुर्रियों जैसी लकीरों से भर गई है वह कुरसी. एक हाथ टूट गया है उसका, एक पांव भी ग़ायब है, धीरे से भी हवा चलती है, तो कांपती है वह कुरसी. पास से गुज़रनेवालों को हसरत से देखती है कुरसी, कोई नहीं बैठता उस पर, कोई नहीं रखता उससे कोई मतलब. इन दिनों घबराई हुई है वह कुरसी, डरती है कि बाहर न फेंक दी जाय पूरी तरह टूटने से पहले, आजकल नींद में चौंक जाती है कुरसी.
इससे पहले कि कोई गोली चले, उस मुहल्ले से इस मुहल्ले की ओर, घुस जाय मेरी छाती में, मुझे एक ज़रूरी बात कहनी है. मुझे कहना है कि मेरे कई गहरे दोस्त उसी मुहल्ले से हैं, यहाँ तक कि वह झील जिसमें मैं अक्सर डूब जाता हूँ, उसी मुहल्ले की है. मुझे कहना है कि अगर मुझे गोली लगी, तो मारे जाएंगे कुछ लोग दोनों ही मुहल्लों से. मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया है, अगर फिर भी तुम चाहो, तो गोली चला सकते हो, अब मैं मरने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ.