कि धरती और आसमान
एक दूसरे से मिल नहीं सकते,
पर मिलने की
कोशिश तो कर सकते हैं.
हवाएं धरती से धूल उड़ाती हैं,
आकाश की ओर ले जाती हैं,
फिर थककर बैठ जाती हैं.
सूरज अपनी किरणों से
बिखरा पानी सोखता है,
जो बादल बन जाता है,
बरस जाता है,
मिट्टी में मिल जाता है.
यह सब बेकार नहीं है,
धरती और आकाश,
जो कभी मिल नहीं सकते,
उनकी मिलने की कोशिश है.
हो सकता है
कि कोशिश से मंजिल न मिले,
पर कुछ न कुछ तो मिल ही जाता है,
क्योंकि कोशिश कभी बेकार नहीं होती.