(दिल्ली में ५ साल की बच्ची से बलात्कार की घटना के सन्दर्भ में)
माँ, बड़े अच्छे लगे थे अंकल
जब उन्होंने मुझे टॉफी दी,
बिल्कुल पापा जैसे,
पर जैसे ही कमरा बंद हुआ,
वे तो बिल्कुल बदल गए.
बहुत ज़बरदस्ती की उन्होंने,
मेरे अंदर वे चीज़ें रखीं,
जो तुम आले में रखती हो,
क्या उन्हें चोरी का डर था,माँ?
न जाने क्या-क्या किया उन्होंने,
मुझे मारा-पीटा,मेरा गला दबाया,
बहुत रोई मैं,
पर उनपर असर ही नहीं हुआ,
बहुत याद किया मैंने,
पर तुम आई ही नहीं,
कहाँ रह गई थी तुम, माँ?
कुछ समझ नहीं आया मुझे,
क्या खोज रहे थे वे
और क्यों खोज रहे थे,
क्या चाहते थे वे
और क्यों चाहते थे,
माँ, मुझे इतना तो बता दो
कि आखिर मेरे साथ हुआ क्या था?
माँ, बड़े अच्छे लगे थे अंकल
जब उन्होंने मुझे टॉफी दी,
बिल्कुल पापा जैसे,
पर जैसे ही कमरा बंद हुआ,
वे तो बिल्कुल बदल गए.
बहुत ज़बरदस्ती की उन्होंने,
मेरे अंदर वे चीज़ें रखीं,
जो तुम आले में रखती हो,
क्या उन्हें चोरी का डर था,माँ?
न जाने क्या-क्या किया उन्होंने,
मुझे मारा-पीटा,मेरा गला दबाया,
बहुत रोई मैं,
पर उनपर असर ही नहीं हुआ,
बहुत याद किया मैंने,
पर तुम आई ही नहीं,
कहाँ रह गई थी तुम, माँ?
कुछ समझ नहीं आया मुझे,
क्या खोज रहे थे वे
और क्यों खोज रहे थे,
क्या चाहते थे वे
और क्यों चाहते थे,
माँ, मुझे इतना तो बता दो
कि आखिर मेरे साथ हुआ क्या था?