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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

६२३. ब्रह्मपुत्र को सुनो

 



सुनो,

किसी शाम एक नाव लेते हैं, 

ब्रह्मपुत्र में निकलते हैं,

लहरें जिधर ले जायँ,

उधर चलते हैं.


इतनी दूर निकल लेते हैं 

कि गौहाटी शहर की बत्तियां 

ओझल हो जायँ नज़रों से. 


जब कुछ भी न दिखे,

पानी भी नहीं, 

तो बंद कर दें चप्पू चलाना,

कानों में पड़ने दें 

बहते पानी की आवाज़. 


बहुत दिनों से हमने सुना नहीं है 

कि ब्रह्मपुत्र कहना क्या चाहता है. 


गुरुवार, 25 नवंबर 2021

६२२.साथी



ऐसा साथी भी क्या साथी,

जो दो कदम चले,

आलिंगन में भरे,

फिर निकल जाय 

किसी अलग रास्ते पर,

उम्मीदों का ज्वार जगा कर  

धराशाई कर दे उन्हें.  


साथी बनो तो ऐसे बनो 

कि न छूटो, न टूटो,

देर तक चलो,

दूर तक चलो. 


रविवार, 21 नवंबर 2021

६२१. ख़ामोश घर

 


बहुत शोर था कभी उस घर में, 

आवाज़ें आती रहती थीं वहां से

कभी हंसने,कभी रोने की,

कभी बहस करने,कभी झगड़ने की,

कोई गुनगुनाता था वहां कभी-कभी, 

चूड़ियां,तो कभी पायल खनकती थी वहाँ,

आवाज़ें आती थीं बर्तनों के खड़कने की,  

सुबह-शाम नल से पानी गिरने की.


अब वह घर ख़ामोश है,

आवाज़ें विदा हो गई हैं वहां से, 

अब वह घर मुझे अच्छा नहीं लगता, 

ऐसे चुपचाप घर किसी को अच्छे नहीं लगते,

वे किसी के भी क्यों न हों. 


सोमवार, 15 नवंबर 2021

६२०. चित्र

 


अपने आलीशान घर की दीवार पर 

उसने एक चित्र लगाया,

जिसमें लकड़ी का एक सुन्दर घर था,

आसपास हरियाली थी,

रंग-बिरंगे फूल खिले थे,

सामने नदी बह रही थी. 


अब वह सुबह से शाम तक 

उस चित्र को देखता रहता है,

अब अपना घर उसे अच्छा नहीं लगता. 


शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

६१९. ग्रास

 




पिता की मृत्यु के बाद 

कोई कौआ कभी 

हमारी मुंडेर पर नहीं आया,

पितृपक्ष में भी नहीं. 


माँ कहती है,

पिता ख़ुश नहीं थे 

अपने अंतिम दिनों में,

कई बार भूखे पेट सो जाते थे. 


पिता को अगर भूख लगी,

तो कहीं और चले जाएंगे,

माँ जानती है 

कि वे कभी नहीं आएँगे 

इस घर में अपना ग्रास लेने.    


मंगलवार, 9 नवंबर 2021

६१८. काँव -काँव


 

बहुत दिनों तक कोई मेहमान

मेरे घर नहीं आता,

तो मैं इंतज़ार करता हूँ 

किसी कौए की काँव-काँव का. 


कहते हैं,जब कोई कौआ  

घर की मुंडेर पर बैठकर 

काँव-काँव करता है,

तो कोई आने वाला होता है. 


लम्बे इंतज़ार के बाद 

जब भी कोई कौआ 

मेरे घर की मुंडेर पर आकर 

काँव-काँव करने लगता है,

तो मैं बहुत ख़ुश हो जाता हूँ,

उसकी काँव-काँव के आगे 

कोयल की कूक भी मुझे 

फ़ीकी लगने लगती है. 


शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

६१७.पीपल का पौधा

 


उस पुरानी दीवार में 

एक पीपल का पौधा उगा,

मैंने उसे जतन से निकाला,

गड्ढा खोदकर ज़मीन में लगाया,

उसे खाद-पानी दिया,

उसकी हिफ़ाज़त की,

पर वह मुरझा गया. 


पीपल का वह पौधा 

शायद इसी लिए पैदा हुआ था 

कि उस पुरानी दीवार को गिरा दे,

जीवन में कुछ और करना 

उसे मंज़ूर ही नहीं था. 


मंगलवार, 2 नवंबर 2021

६१६. कारोबार




क्यों जला रहे हो दिए

साल भर अँधेरा बाँटने वाले?

कोई हक़ नहीं तुम्हें 

कि रोशनी बिखेरने का नाटक करो. 


किसी भ्रम में मत रहना,

सब लोग जानते हैं तुम्हारी असलियत,

बहकावे में नहीं आने वाले,

उन्हें मालूम है 

कि रोशनी बाँटने का तुम्हारा 

कोई इरादा है ही नहीं. 


उन्हें मालूम है 

कि तुम्हारा दिए जलाना,

रोशनी बाँटना, 

बस एक चाल है 

ताकि अँधेरे का कारोबार करने में 

तुम्हें थोड़ी आसानी हो जाय.