शहर के फुटपाथ पर
जब मैं उस छोटी सी लड़की को
मां बाप के बीच सोए देखता हूं,
तो सोचता हूं,
इतनी गाड़ियों के शोर के बीच
उसे नींद कैसे आती होगी।
मां बाप के बीच सोए देखता हूं,
तो सोचता हूं,
इतनी गाड़ियों के शोर के बीच
उसे नींद कैसे आती होगी।
क्या उसे उन आंखों की पहचान होगी,
जो वहशत से घूरती होंगी उसे,
क्या सोने से पहले कुछ खाया होगा उसने,
क्या भूखे पेट उसे नींद आई होगी।
सुबह उठकर कहां जाएगी वह शौच को
कहां रहेगी वह,
जब चलने लगेंगे फुटपाथ पर लोग,
किसके भरोसे छोड़ कर जाएंगे
काम पर उसके मां बाप।
इन सब सवालों से बेखबर
वह लड़की सोई है फुटपाथ पर
और उसके चेहरे पर
एक मासूम सी मुस्कान है।