चूसकर फेंकी गई जामुन की एक गुठली
नरम मिट्टी में पनाह पा गई,
नन्ही-सी गुठली से अंकुर फूटा,
बारिश के पानी ने उसे सींचा,
हवा ने उसे दुलराया.
धीरे-धीरे एक पौधा,
फिर पेड़ बन गई
जामुन की वह छोटी-सी गुठली,
चूसनेवाले बेख़बर रहे.
अब हज़ारों-लाखों जामुनों से,
लदा है यह विशाल पेड़,
आ पहुंचे हैं पेड़ के आस-पास
अब फिर से वही लोग,
जिन्होंने कभी जामुन को चूसकर
बेरुख़ी से कहीं फेंक दिया था.