top hindi blogs

रविवार, 29 जनवरी 2023

६९५.लाठी

 


उसे बहुत पसंद है 

अपनी लाठी,

एक वही है,

जो उसके पास रहती है, 

वरना उसके साथ से   

बड़ी जल्दी ऊब जाते हैं 

सब-के-सब. 

**

तुम्हें लगता है 

कि बिना लाठी के तुम 

चल नहीं पाओगे,

पर एक बार अपनी लाठी 

ख़ुद बन के तो देखो,

शायद किसी और लाठी की तुम्हें 

ज़रूरत ही न पड़े. 

**

मेरी लाठी मुझे 

सहारा तो देती है,

पर मुझे अच्छा नहीं लगता,

वह जब चलती है,

तो शोर बहुत करती है. 

**

उसने इतना बोझ डाल दिया 

कि लाठी ही टूट गई,

जिन्हें सहारा चाहिए,

उन्हें अपना वज़न 

कम रखना पड़ता है.


बुधवार, 25 जनवरी 2023

६९४.मच्छर

 


रात-भर भिनभिनाता है 

कानों में एक मच्छर,

मैं उसे दूर भगाता हूँ,

वह फिर लौट आता है. 


वह कुछ कहना चाहता है,

पर मैं सुनना नहीं चाहता,

जो बोलने पर आमादा हो,

उसे दूर रखना चाहिए,

वह काट भी सकता है. 



शनिवार, 21 जनवरी 2023

६९३. गांव की तलाश में

 


अपने गांव में मैं 

पुराना गांव खोजता हूँ. 


बेख़ौफ़ खड़े 

पीपल के पेड़,

वे कच्चे रास्ते,

लबालब भरे कुएं,

घरों के सामने रखे 

वे तुलसी के पौधे.  


वे मंदिर की घंटियां,

वह गायों का रंभाना,

चिड़ियों का चहचहाना,

लोगों का बतियाना. 


यहाँ की हवाओं में अब

पहले-सी ताज़गी नहीं है, 

न फूलों की महक है,

न घरों से उठती 

नाश्ते की ख़ुशबू है.   


मैं दस्तक देता हूँ 

अनचिन्हे दरवाज़ों पर,

खोजता हूँ पुराने चेहरे,

पर जो भी मिलता है,

पूछता है, ‘कौन हो?

कहाँ से आए हो?’


अब यहाँ पहले-सा 

कुछ भी नहीं है,

मुझे तो शक़ है 

कि क्या यही वह जगह है,

जहाँ किसी ज़माने में 

मेरा गांव हुआ करता था.



मंगलवार, 17 जनवरी 2023

६९२. बूढ़ी सड़क

 


तुम्हें याद है न 

कि इसी पतली सड़क पर चलकर 

तुम कभी हाईवे तक पहुंचे थे?

अब यह सड़क जगह-जगह से 

टूट-फूट गई है,

किसी काम की नहीं रही,

पर अच्छा नहीं लगता 

कि कोई सड़क इस हाल में रहे. 

एहसान चुकाने के लिए ही सही,

इसकी थोड़ी मरम्मत करवा दो

या यही सोचकर करवा दो 

कि कल किसने देखा है,

कौन जाने, कभी इसी सड़क से 

तुम्हें वापस लौटना पड़े?

मंगलवार, 10 जनवरी 2023

६९१. गाँव का स्टेशन



पैसेंजर के सिवा यहाँ 

नहीं रुकती कोई भी ट्रेन ,

सब वहीं रुकना चाहते हैं,

जहाँ सब रुकते हैं. 

**

सर्र से निकलने वाली ट्रेनें भी 

सीटियां बजाती आती हैं,

जो रुकते नहीं हैं,

उन्हें भी अच्छा लगता है 

दूसरों का मज़ाक़ उड़ाना. 

**

मैं, मेरा स्टेशन मास्टर

और एक चौकीदार,

मस्त हैं हम आपस में,

कोई भी अकेला नहीं है

हम तीनों में से. 

**

रात भर गुज़रती हैं 

रेलगाड़ियां मेरी बग़ल से,

उचटती रहती है मेरी नींद,

जिन्हें रुकना नहीं होता,

वे इतना क़रीब क्यों आते हैं? 


शनिवार, 7 जनवरी 2023

६९०. पुल से

 


पुल,

क्या तुम्हारा मन नहीं करता 

कभी नदी से मिलने का,

या तुम इतने सालों से 

उसे देखकर ही ख़ुश हो?


पुल,

अपनी सुविधा के लिए दूसरों ने 

तुम्हें किनारों से जकड़ दिया है,

वे तुम्हारे सहारे नदी पार कर रहे हैं,

पानी में डुबकी भी लगा रहे हैं,

पर तुम चुपचाप देख रहे हो. 


पुल, 

अगर नदी से मिलना चाहते हो,

तो टूटना होगा तुम्हें,

कब तक इंतज़ार करोगे 

कि नदी ख़ुद उठे 

और तुम्हें गले लगा ले?



मंगलवार, 3 जनवरी 2023

६८९. व्हाट्सप्प पर शुभकामनाएं

 


इस बार भी तुमने मुझे 

नहीं भेजीं शुभकामनाएं,

इतनी भी क्या मुश्किल थी,

बस कॉपी-पेस्ट ही तो करना था. 

**

तुमने भी वही मैसेज भेजा,

जो किसी और ने भेजा था,

पहले लिफ़ाफ़े एक जैसे होते थे,

अब मैसेज एक जैसे होते हैं. 

**

हर साल की तरह 

इस बार भी भेजीं मुझे 

सैकड़ों ने शुभकामनाएं,

पर कुछ को ही पता था 

कि उन्होंने मुझे 

शुभकामनाएं भेजी हैं. 

**

तुमने मुझे वही मैसेज तो नहीं भेजा,

जो बहुतों ने बहुतों को भेजा है,

इससे पहले कि मैं तुम्हारे मैसेज का 

कोई ग़लत अर्थ निकाल लूँ ,

तुम मुझे सच-सच बता दो. 

**

तुमने जैसी शुभकामनाएं भेजीं,

वैसी ही दूसरों ने भेजीं,

तुमने अपना नाम भी नहीं लिखा,

तुम्हारा नंबर सेव नहीं होता,

तो मुझे पता ही नहीं चलता 

कि तुमने मुझे याद किया है.