वैसे तो रोटी का आकार
कुछ भी हो सकता है,
पर भूखे लोगों को भाती हैं
गोल-गोल रोटियाँ.
रोटी गोल होती है,
तो भ्रम पैदा होता है
कि उसका कोई छोर नहीं है.
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जिस तरह पी सकता है एक साथ
ऊँट कई दिनों का पानी,
काश कि खा पाता इंसान
कई दिनों की रोटियाँ
और हो जाता मुक्त
रोज़-रोज़ के झंझट से.
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गोल होती है रोटी
पृथ्वी की तरह,
पर बेहतर होती है पृथ्वी से,
उसे खाया जा सकता है,
वह घूमती भी नहीं है.