शनिवार, 28 अप्रैल 2012

३०. भ्रम


इतनी बेरुखी से 
मुझे अकेला छोड़कर 
इस तरह मत जाना,
तुम्हें पुराने दिनों का वास्ता.

उन रातों का वास्ता
जो कभी चाँद को देखते 
हमने एक साथ बिताई थीं.
.
भूल तो नहीं गई तुम
वो जन्मों के साथ का वादा,
और वे बेशुमार पल,
जिनमें कहना मुश्किल था 
कि हम दो हैं या एक.

मेरी बात पर गौर करना,
जाने की ज़िद न करना,
फिर भी तुम्हें लगे कि
जाना ही है,तो चली जाना,
बस एक बार मुड़कर देख लेना,
भ्रम रहेगा कि मैं आज भी 
तुम्हारे दिल के किसी कोने में हूँ.

सच्चाई के साथ जीना मुश्किल है,
जीने के लिए बहुत ज़रूरी है 
भ्रम...






शनिवार, 21 अप्रैल 2012

२९.चाँद में दाग


क्या आपने चाँद देखा है?
अगर हाँ, तो उसमें धब्बे भी देखे होंगे.
दरअसल ये धब्बे नहीं हैं,
चाँद पर हो रहे वार के निशान हैं.
जैसे ही पूरा चाँद आकाश पर आता है,
उस पर चौतरफा हमले शुरू हो जाते हैं.
पूरे पखवाड़े लड़ता रहता है चाँद,
होता रहता है क्षत-विक्षत,
टुकड़े-टुकड़े हो गायब हो जाता है अंततः

हर रोज़ सहता है चाँद,
हर रोज़ कटता है चाँद
पूरी तरह खत्म होने से पहले,
और हम कहते हैं,
'कितना खूबसूरत होता चाँद
अगर उसमें दाग नहीं होते !'

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

२८.दीवार


एक दीवार बनाई थी मैंने
अपने और तुम्हारे बीच,
ईंट,पत्थर और रेत से,
मजबूत और ऊंची,
पर न जाने कहाँ से 
आ जाती हैं उछलकर 
उधर की हवाएं इधर,
ठन्डे पानी की बूँदें
और कभी-कभार 
तुम्हारे बदन की खुशबू
और तुम्हारे साथ बिताए
शहदी पलों की यादें.


आओ, एक ऐसी दीवार बनाएं
जिसे फांद न सकें
पानी की बूँदें,
हवाओं के झोंके 
तुम्हारी यादें-
कुछ भी नहीं.


अगर ऐसी दीवार न बन सके,
तो तोड़ दें यह दीवार,
जो खड़ी है मेरे और तुम्हारे बीच 
बेवज़ह, बेमतलब...