कविताएँ
मंगलवार, 4 नवंबर 2025
824. स्कूटर भाई
›
स्कूटर भाई, अब चलते हैं, किसी कबाड़ी के यहां रहते है, तुम भी पुराने, मैं भी पुराना, बीत चुका है हमारा ज़माना। यूं उदास मत होना, जो नए हैं...
7 टिप्पणियां:
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
823. दिवाली के बाद
›
1. दिवाली के बाद सड़कों पर यूं बिखरा था पटाखों का मलबा, जैसे काम निकल जाने के बाद सही चेहरा दिखे किसी का। 2. पटाखों का मलबा देखा, तो मैंने सो...
5 टिप्पणियां:
शनिवार, 18 अक्टूबर 2025
822. दिवाली पर कुछ हास्य कविताएं
›
मैं आम तौर से हास्य कविताएं नहीं लिखता, पर इस दिवाली में ऐसी कुछ छोटी-छोटी कविताएं लिखी गईं। मैं इस अनुरोध के साथ साझा कर रहा हूँ कि इन्हें ...
10 टिप्पणियां:
सोमवार, 13 अक्टूबर 2025
821. कीचड़ और कमल
›
मैं जिससे निकला हूँ, असहज हूँ उससे, कहाँ मैं कमल, कहाँ वह कीचड़, मैं ख़ुशबू से सराबोर, वह बदबूदार। कोई मेल नहीं मेरा और उसका, उसके ...
5 टिप्पणियां:
सोमवार, 29 सितंबर 2025
820. ज़ुबिन की याद में
›
पिछले दिनों असम के मशहूर गायक ज़ुबिन गर्ग की 52 साल की उम्र में एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनकी अंतिम यात्रा में गुवाहाटी में एक जन-स...
6 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें