कविताएँ

रविवार, 28 मई 2023

७१५.पानी में

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  इस तालाब में इतनी ख़ुशबू क्यों है, किसने डाल रखे हैं पांव पानी में? मैं टकटकी बांधे देखता रहा उधर, फिर भी चली गई भैंस पानी में.  एक अरसे से...
शनिवार, 20 मई 2023

७१४.फ़रमाइशी कविता

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    मैंने जो कविता लिखी है, उसे अभी पैना कर रहा हूँ. जो सुनना नहीं चाहते, कान बंद कर लें अपने, पर जो सुनना चाहते हैं, वे भी सावधान रहें, अच्...
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शुक्रवार, 12 मई 2023

७१३.अलगनी

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  रात-भर जागता हूँ, चिंताएं उमड़ती-घुमड़ती रहती हैं,  दूर से देख लेती हैं वे  पास आती नींद को, घुसने नहीं देतीं अंदर,  रोक लेती हैं दहलीज़ पर. ...
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गुरुवार, 4 मई 2023

७१२.समय

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  समय जो बीत रहा है, आओ,आख़िरी बूंद तक उसका रस निचोड़ लें, उसके बीजों को बो दें, कहीं व्यर्थ न चला जाए उसका छिलका भी.  देखते ही देखते  सर्र से...
5 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 2 मई 2023

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हाल ही में  एमाज़ॉन से प्रकाशित मेरी  हिंदी कविताओं की पहली ई-बुक ‘इंद्रधनुष’ के कुछ रंग:  पानी, इतने लोगों को लील कर भी तुम इतने शांत कैसे ...
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