कविताएँ

सोमवार, 23 जून 2025

812. युद्ध के समय आसमान

›
इन दिनों आसमान में  नहीं दिखते बादल, धुआँ दिखता है, नहीं कड़कती बिजली, बमों के धमाके होते हैं, नहीं होतीं बौछारें, मिसाइलें बरसती हैं । इन दि...
7 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 21 जून 2025

811.बेबस दुनिया

›
  नई-नई मिसाइलों के सामने  बेबस लगती हैं पुरानी बंदूकें, लड़ाकू विमानों के आगे  बौने लगते हैं पैदल सैनिक।  सीमा नहीं रही तबाही की, अब किसे चा...
3 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 14 जून 2025

810. पिता क्यों नहीं जाते अस्पताल?

›
  बीमारियों से घिरे पिता नहीं जाना चाहते अस्पताल, खांसते रहते हैं दिन भर सहते रहते हैं दर्द। ज़ोर दो, तो कहते हैं अस्पताल में होंगे बेकार के ...
5 टिप्‍पणियां:

809. रक्तदान

›
  वह रक्त, जो तुम्हारी रगों में दौड़ रहा है,  सिर्फ़ तुम्हारा नहीं है,  उसमें ज़मीन का पानी है,  किसान का उपजाया अनाज है, न जाने किस-किस की कोश...
3 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, 6 जून 2025

808.चश्मा

›
  मैं बड़ा हुआ, तो मेरे पाँवों में आने लगे  पिता के जूते, मेरी आँखों पर चढ़ गया  पावरवाला चश्मा, पर पिता का चश्मा  मुझे फ़िट नहीं बैठता था  दोन...
6 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Onkar
अपने बारे में क्या कहूँ ? क्यों न बिना खुद बीच में आए आपको अपने पोस्ट्स के साथ छोड़ दूं?
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.