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शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

७३२. तुम्हारे जाने के बाद

 


हमारा यह छोटा-सा फ़्लैट 

तुम्हारे जाने के बाद 

बहुत बड़ा लगता है, 

तुम्हारा सामान तो उतना ही है,

पर लगता है, 

बहुत जगह घेरती थी 

तुम्हारी बातें, तुम्हारी हँसी।

**

बहुत साफ़ रहता है यह घर,

न कोई काग़ज़ फेंकता है,

न छिलका, न कुछ और, 

तुम्हारे जाने पर जाना 

कि इतनी सफ़ाई 

मुझे पसंद नहीं है. 

**

तुम्हारे जाने के बाद 

कुछ भी नहीं रहा पहले-सा,

घर तो वही है,

पर काटता बहुत है,

समझ में नहीं आता 

कि पुराना घर है 

या नया जूता?


7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 10 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! कम शब्दों में दिल को खोल कर रख दिया है, घर तो रहने वालों से ही बनता है

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  3. बहुत गहरी बातें ... तमाम रचनाएँ बोलती हैं ...

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  4. बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।

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