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शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

७३५. वक़्त मिले तो पढ़ लेना



तुम्हारे मोहल्ले की गलियों में,

इस शहर की सड़कों पर 

मेरे क़दमों ने जो लिखा है, 

वक़्त मिले तो पढ़ लेना. 


खम्भे का सहारा लेकर  

तुम्हारी खिड़की को ताकते हुए 

मेरी आँखों ने जो लिखा है,

वक़्त मिले तो पढ़ लेना. 


तुम्हारे बंद दरवाज़े पर

दस्तक देते हुए

मेरी उँगलियों ने जो लिखा है,

वक़्त मिले तो पढ़ लेना. 


वह अकेला ख़त, जो मैंने 

सालों पहले तुम्हें लिखा था,

उसमें जो अनलिखा है,

वक़्त मिले तो पढ़ लेना. 



6 टिप्‍पणियां:

  1. आप ने लिखा.....
    हमने पड़ा.....
    इसे सभी पड़े......
    इस लिये आप की रचना......
    दिनांक 24/09/2023 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की जा रही है.....
    इस प्रस्तुति में.....
    आप भी सादर आमंत्रित है......


    जवाब देंहटाएं
  2. अन्लिखित बहुत कुछ लाजवाब होता है ..

    जवाब देंहटाएं
  3. एक बहुत सुंदर प्रेम कविता

    जवाब देंहटाएं