सब सराहते हैं मेरे नाक-नक्श,
सब कहते है अच्छा लगता हूँ मैं,
पर यह आईना क्यों टांग अड़ाता है,
क्यों कहता है हर रोज बार-बार
कि तुम बहुत बदसूरत हो,
इतने कि मैं भी नहीं देखना चाहता तुम्हें.
चलो, मैं भी नहीं देखूँगा कभी आईना,
जो इतना सफ़ेद झूठ बोलता है,
कैसे मान लूं मैं कि सारे लोग गलत हैं
और यह बेजान आईना सही है?
सब कहते है अच्छा लगता हूँ मैं,
पर यह आईना क्यों टांग अड़ाता है,
क्यों कहता है हर रोज बार-बार
कि तुम बहुत बदसूरत हो,
इतने कि मैं भी नहीं देखना चाहता तुम्हें.
चलो, मैं भी नहीं देखूँगा कभी आईना,
जो इतना सफ़ेद झूठ बोलता है,
कैसे मान लूं मैं कि सारे लोग गलत हैं
और यह बेजान आईना सही है?
चलो, मैं भी नहीं देखूँगा कभी आईना,
जवाब देंहटाएंजो इतना सफ़ेद झूठ बोलता है,
कैसे मान लूं मैं कि सारे लोग गलत हैं
और यह बेजान आईना सही है?... ये भी सही है
आइना अक्सर ठीक कहता रहा है ...
जवाब देंहटाएंआइना सिर्फ सूरत देखता है...लोग देखते हैं सीरत....और रूह....
जवाब देंहटाएंआइना ही झूठा है....
सादर
अनु
आपकी अंतरात्मा ही आपका आईना है
जवाब देंहटाएंकिसी के कहने या ना कहने से आप अच्छे या बुरे नहीं हो सकते ..
आपकी अंतरात्मा ही सच्ची गवाही देता है ..
गहन भाव के साथ लिखी गयी
काफी सुंदर रचना ..
सादर !
आइना सदा सच बोलता है,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
पर यह आईना क्यों टांग अड़ाता है,
जवाब देंहटाएंक्यों कहता है हर रोज बार-बार
कि तुम बहुत बदसूरत हो,
क्योंकि आप सिर्फ अपनी शक्ल देखते हैं और लोग आपकी सीरत भी .....!!