२०.मेरी खोज में मैं
मैं कहीं खो गया हूँ
और मेरी खोज में
मुझे ही लगाया गया है.
बहुत खोजा मैंने खुद को,
पर मुझे कहीं नहीं मिला मैं,
थक-सा गया हूँ खोजकर,
हिम्मत भी हार बैठा हूँ
छोड़ दी है सारी उम्मीद
कि कभी मिल पाऊंगा मैं खुद से.
अब कोई और प्रयास करे,
ढूंढ निकाले मुझे कहीं से
और जब मैं मिल जाऊं
तो मुझे भी खबर भिजवा दे
कि मैं जो कहीं खो गया था
आख़िरकार मिल गया हूँ.
ओंकार जी,लगता है आप सचमुच कही खो गए है,तभी आजकल मेरे पोस्ट पर नहीं आरहे है,आइये ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, प्रस्तुति अच्छी लगी.,
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
अपनी खोज स्वयं ही करनी पड़ती है .. कोई और दूसरा नहीं खोज सकता .. कश्मकश सी रचना ..
जवाब देंहटाएंखुद से खुज की खोज नहीं हो पायगी तो दूसरा तो कभी नहीं खोज सकता ...
जवाब देंहटाएंअब कोई और प्रयास करे,
जवाब देंहटाएंढूंढ निकले मुझे कहीं से
और जब मैं मिल जाऊं
तो मुझे भी खबर भिजवा दे
अद्भुत रचना...बधाई
नीरज
जिधर देखो हर शक्स खुद में गुम सा है
जवाब देंहटाएंतलाश करने के लिए प्यार ज़रूरी है ...
बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुती .
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
bahut hi gahri baat kahi aap ne is rachna me...bdhaai aap ko
जवाब देंहटाएंगहरी सोच सुन्दर अभिव्यक्ति |हार्दिक बधाई | होली पर शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा