बहुत चल चुके
इन पुरानी पगडंडियों पर
आओ, एक नई पगडंडी बनाएँ.
इन पत्तों,इन झाड़ियों से होकर
निकलने का प्रयास करें,
देखें,क्या है उस तरफ,
कहाँ छिपे हैं साँप और बिच्छू,
कितनी दलदल है उधर,
कितने कांटे,कितना ज़हर?
चाहें तो ले लें कुछ हथियार,
जुटा लें थोड़ी हिम्मत,
(कौन सा हथियार है
हिम्मत से बड़ा?)
छोड़ दें यह पगडंडी,
उतर पड़ें खतरों में,
शुरुआत हो जाय अब
एक नई पगडंडी की.
इन पुरानी पगडंडियों पर
आओ, एक नई पगडंडी बनाएँ.
इन पत्तों,इन झाड़ियों से होकर
निकलने का प्रयास करें,
देखें,क्या है उस तरफ,
कहाँ छिपे हैं साँप और बिच्छू,
कितनी दलदल है उधर,
कितने कांटे,कितना ज़हर?
चाहें तो ले लें कुछ हथियार,
जुटा लें थोड़ी हिम्मत,
(कौन सा हथियार है
हिम्मत से बड़ा?)
छोड़ दें यह पगडंडी,
उतर पड़ें खतरों में,
शुरुआत हो जाय अब
एक नई पगडंडी की.
नयी मंजिल पाना हो तो राहें भी नयी चुननी होंगी....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
सादर
अनु
शुरुआत हो जाय अब एक नई पगडंडी की.,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,,
RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,
(कौन सा हथियार है
जवाब देंहटाएंहिम्मत से बड़ा?)
शुरुआत हो जाय अब
एक नई पगडंडी की... जो सबसे पुरानी पगडण्डी थी उसे ही नई बना लें - कम से कम संस्कार तो होंगे
कुछ नया करने की प्रेरणा देती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसच है हिम्मत से ही उतरा जा सकता है नयी पगडण्डी पे ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंमेरी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंकविता के लिए भी और इन हौसलों के लिए भी
Nai pagdandi par chalne ki shibhakamnaye
जवाब देंहटाएंकविता भी कितना देती है!
जवाब देंहटाएं