बेटी,
तुम फूल जैसी हो-
सुंदर, सुगंधित,
पत्ते जैसी हो-
कोमल, जीवंत,
जड़ जैसी हो-
गहरी,मज़बूत,
तने जैसी हो-
बोझ उठानेवाली,
डाली जैसी हो-
हवा में फैलनेवाली।
तुम पूरा पेड़ हो-
जीवंत, छायादार,
बस कुछ कांटे उग आएँ,
तो तुम सम्पूर्ण हो जाओ।
मानो कह रहे हों शंकर, गौरी ! तुम काली हो जाओ तो सम्पूर्ण हो जाओ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 04 अक्बटूर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
सुन्दर रचना
वाह
वाह!
वाह!!!बहुत सटीक...बेटियों की सम्पूर्णता के लिए काँटों की आवश्यकता है आजकल...लाजवाब सृजन।
मानो कह रहे हों शंकर, गौरी ! तुम काली हो जाओ तो सम्पूर्ण हो जाओ
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 04 अक्बटूर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक...
बेटियों की सम्पूर्णता के लिए काँटों की आवश्यकता है आजकल...
लाजवाब सृजन।
वाह
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