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बुधवार, 15 अगस्त 2012

४४.कुंभ

जिंदगी भर जो पाप किए थे,
सारे धो लिए थे मैंने 
पिछले कुंभ में.
तब से बहुत नेक काम किये हैं,
अब धोने को नहीं हैं कुछ खास पाप.
अगले साल फिर कुंभ आएगा 
और यूँ ही चला जाएगा.
फिर बारह साल बाद मिलेगा 
पाप धोने का मौका.

मैं बहुत जल्दी में हूँ,
निपटाने हैं बहुत सारे पाप,
ताकि कुछ तो हो धोने को 
अगले साल कुंभ में.

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया ,,,,,

    वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
    अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

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  2. बहुत खूब! बहुत सटीक कटाक्ष...

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  3. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..

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  4. वाह.....
    तीखा और करार व्यंग....
    बहुत खूब....

    सादर
    अनु

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  5. मतलब यह कि न पाप करें न कुंभ नहाना पड़े।

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  6. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  7. आज 16/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  8. बारीक व्यंग्य व्यंजना ,लाज़वाब भाई साहब ,बढ़िया से भी बढ़िया पोस्ट ,इसे कहतें हैं व्यंग्य की धार जो जाए उस पार ...
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    बृहस्पतिवार, 16 अगस्त 2012
    उम्र भर का रोग नहीं हैं एलर्जीज़ .
    Allergies

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई, सादर.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें, आभारी होऊंगा .

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  10. शुभकामनायें और साथ ही आभार ...हम सबको इसकी जरूरत रहती है !

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